151 प्रकरण को बोगस मानकर रकम जमा करने को कहा
कोरबा। कोरबा जिले में एक के बाद एक फर्जीवाड़ा सामने आ रहे हैं। डिस्टिक मिनिरल फाऊंडेशन से संबंधित कार्यों मैं आर्थिक गड़बड़ी के चक्कर में पूर्व कलेक्टर रानू साहू और ड्राइवर की असिस्टेंट कमिश्नर माया वारियर को लंबे समय तक जेल की हवा खानी पड़ी। अब साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के दीपिका क्षेत्र में जमीन अर्जन से संबंधित मुआवजा को लेकर गड़बड़ी सामने आई है। जानकार सूत्रों का दावा है कि मलगांव और सुआभोड़ी गांव के मुआवजा प्रकरण सीबीआई जांच के दायरे में तो है ही। देर सबेर इनकी जांच होने में कोई संदेह नहीं।
कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की मेगा प्रोजेक्ट का विस्तार करने के लिए किसी भी कीमत पर आसपास की जमीन की जरूरत है और इसे प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं। इस फेर में एसईसीएल से लेकर राजस्व अमले को गड़बड़ी करने का भरपूर मौका मिल गया है। हाल में ही मलगाँव में जमीन अर्जन और विस्थापितों के नाम से बनाए गए मुआवजा प्रकरणों में गड़बड़ी उजागर हुई। हैरानी की बात नहीं है कि पूरी प्रक्रिया कुछ महीने पहले ही निपट चुकी और विलंब से पता चला कि कम से कम 151 मामलों में गलत तरीके से मुआवजा बना। स्थानीय प्रशासन ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड दीपिका क्षेत्र को निर्देशित किया कि जिन मामलों में मुआवजा वितरण हो चुका है उसकी राशि या तो जमा कराई जाए या फिर ऐसे प्रकरण को निरस्त किया जाए। सवाल उठ रहा है कि आखिर इसकी जानकारी क्या पहले नहीं थी।
यहां बताना आवश्यक होगा कि मलगांव में अनेक लोगों ने मुआवजा वितरण से पहले ही अनावश्यक रूप से तोडफ़ोड़ करने को लेकर आवाज उठाई थी लेकिन अधिकारियों के संरक्षण में किसी ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया और बड़े हिस्से को उजाड़ दिया। मलगाँव व सुआभोडी में जमीन के अधिग्रहण को लेकर मुआवजा के जितने प्रकरण तैयार किए गए, उन्हें लेकर कहां जाना है कि अब यह सभी जांच के दायरे में आ गए हैं। कहा जा रहा है कि आज नहीं तो कल, जांच एजेंसी सीबीआई का घेरा इसमें होगा ही। उच्च जांच होने पर मुआवजा के नाम पर किए गए खेल और इनमें अधिकारियों से लेकर दलालों की भूमिका को उजागर होने से कोई भी नहीं रोक सकेगा। सूत्रों का दावा है कि आखिर अधिकृत क्षेत्र में बड़ी संख्या में परीसंपत्तियां का अचानक से तैयार हो जाना और फिर उनका सर्वे किया जाना , तब भी संदेह के दायरे में था। यह बात अलग है कि किसी खास कारण से उस पर ध्यान नहीं दिया।
सवाल उठाए थे रलिया के लोगों ने
कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रलिया गांव के लोगों ने जिला प्रशासन से फरवरी महीने में शिकायत की थी। उन्होंने लिखित रूप से जानकारी की थी सीसीएल गेवरा क्षेत्र के लिए जमीन का अधिग्रहण किए जाने के मामले में गंभीर गड़बड़ी की गई है। लोगों ने आरोप लगाया था कि यहां पर दलालों के माध्यम से कई फर्जी लोगों के नाम प्रभावित की सूची में जोड़ दिए गए हैं। लोगों की मांग थी कि पहले भौतिक सत्यापन और जमीन की नापजोख की जाए और इसके बाद मुआवजा दिया जाए। शिकायत करने वालों में त्रिभुवन सिंह, संहिता सिंह, नवीन, रति सिंह शामिल है। हालांकि इस शिकायत पर हुआ कुछ नहीं।
पूछताछ की थी जांच एजेंसी ने
कोयला कंपनी के अंतर्गत जमीन अर्जित किए जाने और इसके एवज में तैयार मुआवजा प्रकरण से संबंधित शिकायत को लेकर पूर्व में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के द्वारा उदय नारायण, श्यामू आदि से पूछताछ की गई। जबकि गभेल नामक व्यक्ति का मुआवजा निरस्त कर दिया गया। इस समय से लग रहा था कि पूरा मुआवजा मामला ही विवादित हो गया है और आने वाले दिनों में इस तरफ एक्शन होगा ही।