
रांची। झारखंड में शराब घोटाला मामले की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच में एक और जानकारी सामने आई है। छत्तीसगढ़ के साथ-साथ झारखंड में हुए शराब घोटाले से चर्चा में आए भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को आबकारी विभाग झारखंड ने नियम विरुद्ध परामर्शी बना दिया था।झारखंड में मई 2022 से लागू आबकारी नीति में छत्तीसगढ़ राज्य नगर निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध निदेशक अरुण पति त्रिपाठी को परामर्शी बनाया गया था। वे छत्तीसगढ़ में प्रतिनियुक्ति पर थे। दूसरे राज्य में परामर्श या अन्य प्रशासनिक गतिविधियों में शामिल होने से पहले उन्हें अपने मूल विभाग (भारतीय दूरसंचार सेवा) से सहमति लेना जरूरी है। इसके बावजूद उन्होंने ऐसा नहीं किया।
झारखंड में शराब घोटाले की पटकथा लिखने में आबकारी एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे को आईटीएस अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी का सहयोग मिला था। बदले में आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी ने करीब सवा करोड़ रुपये भी लिए थे।छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी के प्रबंध निदेशक विधु गुप्ता को झारखंड में प्रवेश दिलाने वाले आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी ही थे। आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी ने झारखंड के तत्कालीन आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे के साथ मिलकर शराब घोटाले के लिए अपनी इच्छानुसार कई नियम-शर्तें तय कीं। उन्होंने शराब बनाने वाली कंपनियों में निवेश भी करवाया और मोटी रकम वसूली।शराब घोटाले के आरोपी और ऑटोमोबाइल कंपनी नेक्सजेल के निदेशक विनय कुमार सिंह को वर्ष 2017 में लगभग 41 करोड़ रुपये का कौशल विकास का ठेका मिला था। विनय सिंह पूर्व आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे के करीबी बताए जाते हैं।
विनय कुमार चौबे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच कर रही एसीबी को जांच के दौरान यह बात पता चली है। आरोप है कि पूर्व आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे ने विनय कुमार सिंह के ज़रिए अपनी काली कमाई का निवेश किया।यह भी बताया जा रहा है कि विनय सिंह को 2017 में पांच साल के लिए यह ठेका मिला था, जिसमें विनय कुमार चौबे ने मदद की थी। एसीबी इस टेंडर आवंटन में विनय सिंह का साथ देने वाले लोगों की भूमिका की भी जाँच कर रही है। जाँच जारी है।