
नईदिल्ली, २३ जून।
इस्तांबुल में इस्लामी सहयोग संगठन की बैठक के दौरान ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने ऐलान किया कि वह सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने मॉस्को जाएंगे। यह फैसला अमेरिका की ओर से ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर हवाई हमलों के बाद लिया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हमलों का आदेश दिया। ट्रंप प्रशासन ने इन हमलों के ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए जरूरी कदम बताया है। अराघची ने इन हमलों की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन है। अराघची ने कहा, “रूस ईरान का दोस्त है, हम हमेशा एक-दूसरे से सलाह करते हैं। मैं आज दोपहर मॉस्को जा रहा हूं ताकि कल सुबह रूसी राष्ट्रपति से गंभीर बातचीत कर सकूं।” उन्होंने चेतावनी दी कि ईरान संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत अपनी रक्षा का अधिकार इस्तेमाल करेगा।मॉस्को में रूस के पूर्व राष्ट्रपति और सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रंप पर तीखा हमला बोला। उन्होंने टेलीग्राम पर लिखा, “ट्रंप शांति का वादा लेकर आए थे, लेकिन अब अमेरिका को मध्य पूर्व में एक नई जंग में झोंक चुके हैं।
मेदवेदेव ने कहा कि अमेरिकी हमलों से कोई बड़ा सैन्य नतीजा नहीं निकला। परमाणु ईंधन के महत्वपूर्ण ढांचे को या तो नुकसान नहीं हुआ या बहुत कम नुकसान हुआ। परमाणु सामग्री का संवर्धन और अब हम साफ कह सकते हैं, परमाणु हथियारों का निर्माण जारी रहेगा। मेदवेदेव ने दावा किया कि कई देश ईरान को अपने परमाणु हथियार देने को तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने इन देशों के नाम नहीं बताए। उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल की जनता अब हर वक्त डर में जी रही है, जहां कई इलाकों में विस्फोट हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “अमेरिका अब एक नए संघर्ष में फंस चुका है, और जमीनी सैन्य कार्रवाई की संभावना भी बन सकती है।”अराघची ने साफ कहा कि मौजूदा हालात में ईरान कोई कूटनीतिक बातचीत दोबारा शुरू नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “हम कूटनीति के बीच में थे। हम अमेरिका के साथ बातचीत कर रहे थे जब इजराइल ने सब कुछ तबाह कर दिया।