कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की गेवरा और दीपिका परियोजना का विस्तार करने की दिशा में कामकाज जारी है। इन परियोजनाओं के लिए आसपास के गांव की जमीन अर्जित की जा रही है। मनमाने तरीके से मुआवजा निर्धारण और सरकार को चपत लगाने की कोशिश की खबर पर दो बड़े लोगों के मुआवजे पर रोक लगा दी गई है। कहा जा रहा है कि अगर प्रभावी तरीके से इस प्रकरण में जांच के साथ कार्रवाई होती है तो साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के साथ-साथ राजस्व विभाग के कई अधिकारी निपट सकते हैं जो काफी समय से सुर्खियों में रहे हैं।
जानकारी के अनुसार तकनीकी आधार पर श्यामू जायसवाल सहित दो कथित विस्थापित का मुआवजा भुगतान ब्रेक कर दिया गया है। माना जा रहा है कि मूल्यांकन और दूसरी प्रक्रियाओं के मामले में व्यापक गड़बड़ी की गई है। आखिर ऐसा करने की क्या जरूरत थी इसके वास्तविक कारण ज्ञात नहीं हो सके हैं, लेकिन कहां जा रहा है कि कुल मिलाकर ऐसी कोशिशें से दो तरफ फायदे के समीकरण बनाए जा रहे थे। इस बीच कुछ लोगों ने तथ्यों के साथ ऊपर तक शिकायत कर दी। इसमें बताया गया कि अगर ऐसा होता है तो लाभ किसे होगा और नुकसान किसे उठाना पड़ेगा। मामला गंभीर था इसलिए इसे न केवल संज्ञान में लिया गया बल्कि तत्काल प्रभाव से ऐसे प्रकरण में मुआवजा भुगतान को शक्ति से रोक दिया गया। यह खबर सामने आने से प्रभावित क्षेत्रों में हडक़ंप मच गई। जबकि सबसे ज्यादा परेशानी एसईसीएल और राजस्व के उन अधिकारियों में है जिन्होंने प्रक्रिया का संपादन कराया। प्रदेश में आर्थिक मनमानी और भ्रष्टाचार के प्रकरणों को लेकर लगातार कार्रवाई हो रही है इससे ऐसा लगता है कि साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों में भू अर्जन और मुआवजा वितरण के प्रकरण में भी एक्शन हो सकता है। याद रहे ऐसे कुछ प्रकरणों में कोरबा जिले में बड़ी कार्रवाई हुई है और इसके साथ संदेश दिया गया है कि जो गलती करेगा उसे परेशानियों से जूझना पड़ेगा।