कोरबा। नगर पालिक निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कोरबा के पोड़ीबहार तालाब की स्थिति एक बार फिर चिंताजनक हो गई है। तालाब में फैली जलकुंभियों की भरमार से इसकी जलग्रहण क्षमता और भराव क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस परिस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जलकुंभियों के स्थायी निपटारे के लिए ठोस और दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।
पिछले दो-तीन वर्षों से स्थानीय नागरिक संगठनों द्वारा श्रमदान के माध्यम से तालाब की सफाई की पहल की जाती रही है। इन प्रयासों के चलते तालाब की स्थिति में कुछ हद तक सुधार भी हुआ। हाल ही में एक पखवाड़े पूर्व पुन: श्रमदान किया गया, जिससे साफ जाहिर है कि समाज में जागरूकता बढ़ रही है। विभिन्न अवसरों पर लोग स्वयं आगे आकर सफाई कार्य में भाग ले रहे हैं। पोड़ीबहार तालाब, आसपास के बड़े रिहायशी क्षेत्र की जल आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। परंतु वर्तमान में तालाब में बढ़ती जलकुंभियां और आसपास का जमा कचरा इसके अस्तित्व के लिए खतरा बनता जा रहा है। तालाब के बड़े हिस्से में जलकुंभियों की मौजूदगी से स्थानीय नागरिकों को निस्तार करने में भारी असुविधा हो रही है। विशेषज्ञों और जागरूक नागरिकों का मानना है कि जब तक कोई स्थायी व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक इस समस्या का पूर्ण समाधान संभव नहीं है।
जनजागरूकता की भी कमी
स्थानीय लोगों का कहना है कि तालाब को स्वच्छ और संरक्षित रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है। इसके लिए जनजागरूकता आवश्यक है। कई बार देखा गया है कि पूजा-पाठ के उपरांत लोग पूजन सामग्री और अन्य कचरा तालाब के किनारे फेंक देते हैं, जिससे न केवल प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि जलकुंभियों के प्रसार को भी बढ़ावा मिलता है। जब तक लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं आता, तब तक तालाब की सफाई और संरक्षण केवल एक अस्थायी प्रयास बनकर रह जाएगा।