रेलेव प्रोजेक्ट में जमकर काम लिया इन लोगों से
कोरबा। रेलवे प्रोजेक्ट में काम कराने के बाद भी भुगतान न मिलने से पहाड़ी कोरवा आदिवासी समुदाय के मजदूर परेशान हैं। ठगी का शिकार हुए ये मजदूर अब न्याय की गुहार लिए पुलिस और प्रशासन के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं से भी राहत नहीं मिल रही। मजदूरों को भुगतान न करना पड़े इसके लिए ठेकेदार गायब हो गया है और उसकी पत्नी का रही है कि पति दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद अस्पताल में पड़ा है तो रुपए कहां से दूं।
कोरबा जिले के ग्राम चुइया निवासी ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि बालको निवासी रेलवे ठेकेदार सुनील साहू ने उन्हें काम पर रखा था। ठेकेदार ने समय पर मजदूरी देने का वादा कर दो हफ्ते तक कड़ी मेहनत करवाई, लेकिन भुगतान के समय से पहले ही वह भाग खड़ा हुआ। पीडि़त मजदूरों में अधिकांश पहाड़ी कोरवा आदिवासी हैं। सोमवार को ये ग्रामीण मजदूर पुलिस अधीक्षक कार्यालय कोरबा परिसर में एकत्र हुए। जब उनसे वहां मौजूदगी का कारण पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि वे ठेकेदार द्वारा की गई ठगी के खिलाफ न्याय की मांग कर रहे हैं। मजदूरों ने सबसे पहले रेलवे ऑफिस और फिर ठेकेदार के निवास पर संपर्क किया, जहां ठेकेदार की पत्नी ने बीमारी का बहाना बनाते हुए कहा कि वह अस्पताल में भर्ती हैं। हालांकि, जब मजदूरों ने खुद जानकारी निकाली, तो पता चला कि यह सब बहाना है और ठेकेदार जानबूझकर भुगतान से बच रहा है। न्याय की उम्मीद में मजदूर बालको पुलिस चौकी, कोतवाली और फिर उरगा थाना तक पहुंचे। लेकिन वहां से भी उन्हें अदालत जाने की सलाह देकर लौटा दिया गया। आर्थिक रूप से पहले से ही कमजोर ये पहाड़ी कोरवा आदिवासी अब बेहद असमंजस में हैं। उनका कहना है कि जब एक सरकारी प्रोजेक्ट में भी ठगी हो रही है और संबंधित विभाग कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा है, तो वे अपनी मेहनत की कमाई कैसे और कहां से हासिल करेंगे?
सुराज तिहार में समाधान की है अपेक्षा
जिले में छत्तीसगढ़ सरकार का सुशासन अभियान इन दिनों चल रहा है जिसे तिहार का नाम मिला हुआ है। बड़ी संख्या में अलग-अलग विषय को लेकर लोगों ने शिकायत की है जिनका समाधान करने का दावा किया जा रहा है। सवाल यही है कि क्या रेलवे ठेकेदार के पास जिन मजदूरों ने काम किया है उन्हें राहत देने प्रशासन के अधिकारी संवेदनशीलता दिखाएंगे?