
रायपुर/मंदिरहसौद। राजधानी से लगे मंदिरहसौद क्षेत्र में इन दिनों माफिया राज जैसा माहौल बन गया है। बीती रात क्षेत्र में 100 से अधिक हायवा ट्रक और करीब 30 से 40 जेसीबी व पोकलेन मशीनों की मौजूदगी में बड़े पैमाने पर मुरूम (मिट्टी) का अवैध उत्खनन किया गया। इस पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें खनन की भयावहता और मशीनों की फौज साफ तौर पर देखी जा सकती है।
इस अवैध उत्खनन को रात के अंधेरे में अंजाम दिया गया, ताकि प्रशासन की नजरों से बचा जा सके। लेकिन माफिया की यह करतूत इतने बड़े स्तर पर की गई कि अब इसे छिपाना संभव नहीं रहा। भारी भरकम ट्रकों की कतारें, जेसीबी और पोकलेन मशीनों की आवाजें और मुरूम से भरे ट्रकों की आवाजाही – यह सब कुछ वीडियो में साफ तौर पर दिखता है। जानकारों का कहना है कि एक ही रात में सैकड़ों ट्रकों में हजारों घनमीटर मुरूम निकालकर बाजार में खपाया गया है।
इस पूरी घटना में सबसे चौंकाने वाला पक्ष प्रशासन की चुप्पी है। आमतौर पर किसी निर्माण स्थल पर छोटा-सा नियम उल्लंघन होने पर माइनिंग विभाग, एनआरडीए, खाद्य विभाग या राजस्व अधिकारी ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हैं। लेकिन यहां जब बलराम साहू नामक व्यक्ति द्वारा सैकड़ों ट्रक, दर्जनों जेसीबी लगाकर खुलेआम अवैध खनन किया गया, तब कोई सरकारी अमला मौके पर नहीं पहुंचा। इससे यह संदेह और गहरा होता है कि इस खनन में प्रशासनिक मिलीभगत या राजनीतिक संरक्षण शामिल है। वरना इतने बड़े पैमाने पर मशीनरी, डीजल की आपूर्ति, ट्रकों की आवाजाही और मजदूरों की सक्रियता प्रशासन की आंखों से कैसे ओझल रह सकती थी.
पत्रकारों को धमकी, गवाहों में भय
घटना को कवर कर रहे स्थानीय पत्रकारों को भी धमकाया गया, ताकि वे यह खबर न दिखाएं। यह सीधे-सीधे माफिया की दादागिरी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। जब पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं, तब आम नागरिकों और गवाहों का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। कुछ ग्रामीणों ने कैमरे पर आने से साफ इनकार कर दिया, लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कई दिनों से माफिया सक्रिय हैं और प्रशासनिक अधिकारियों को नजराना पहुंचाया जाता है।
सरकारी राजस्व को तगड़ा नुकसान
इतनी भारी मात्रा में मुरूम निकाले जाने से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। माइनिंग शुल्क, परिवहन शुल्क, पर्यावरण मुआवजा, और अन्य टैक्स माफिया ने सीधे तौर पर हड़प लिए। इससे राज्य की विकास योजनाओं को झटका लग सकता है। इसके अलावा, पर्यावरणीय क्षति और जल संरक्षण के संकट का खतरा भी मंडरा रहा है, क्योंकि इस तरह के अवैध उत्खनन से जमीन की सतह कमजोर होती है, जिससे बारिश का पानी रिसने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग
स्थानीय निवासियों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने इस मामले में शासन-प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह भी मांग की जा रही है कि खनिज विभाग, राजस्व विभाग, एनआरडीए और पुलिस की संयुक्त टीम बनाकर पूरे मामले की जांच की जाए और माफिया के खिलाफ FIR दर्ज कर गिरफ्तारियां की जाएं।