
काठमांडू. नेपाल के 25 वर्षीय छात्र बिपिन जोशी, जिन्हें 2023 में हमास के आतंकियों ने इस्राइल से अगवा कर लिया था, आखिरकार दो साल बाद स्वदेश लौटे लेकिन ताबूत में। काठमांडू पहुंचने के बाद नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने बिपिन को राष्ट्रीय सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी। इस दौरान पूरा देश शोक में डूबा नजर आया। बिपिन जोशी इस्राइल में “लर्न एंड अर्न” कार्यक्रम के तहत कृषि की पढ़ाई कर रहे थे। सात अक्तूबर 2023 को जब हमास ने इस्राइल के दक्षिणी इलाके किब्बुत्ज़ अलुमीम पर हमला किया, तब बिपिन समेत 17 नेपाली छात्रों को अगवा कर लिया गया था। शुरुआती दिनों में माना गया कि वह जीवित हैं और हमास की कैद में हैं। पर दो वर्षों तक उनके बारे में कोई खबर नहीं मिली।
मौत की पुष्टि और शव की पहचान
बीते सप्ताह हमास के सैन्य विंग क़स्साम ब्रिगेड ने चार बंधकों के शव इस्राइल को सौंपे, जिनमें बिपिन जोशी का शव भी शामिल था। शव की पहचान टेल अवीव के फॉरेंसिक विभाग ने डीएनए जांच से की। इस्राइल डिफेंस फोर्स (IDF) ने बताया कि बिपिन को अगवा करने के एक महीने बाद उनकी हत्या कर दी गई थी। हालांकि, हमास का दावा है कि बिपिन इस्राइली हवाई हमले में मारे गए।
कूटनीतिक और मानवीय पहलू
हमास और इस्राइल के बीच जारी युद्धविराम और शांति प्रक्रिया के तहत बंधक अदला-बदली का समझौता हुआ था, जिसमें बिपिन का शव सौंपा गया। अमेरिकी मध्यस्थता से बने इस समझौते के पहले चरण में जीवित 20 बंधकों को रिहा किया गया था। बिपिन के परिवार को भेजे गए पत्र में बताया गया कि उनकी मौत सिर में गोली लगने से हुई। नेपाल सरकार ने इसे राष्ट्रीय त्रासदी बताते हुए विदेश मंत्रालय से अगवा नेपाली छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
अंतिम यात्रा और नेपाल में श्रद्धांजलि
तेल अवीव के बेन गुरियन एयरपोर्ट पर बिपिन को श्रद्धांजलि दी गई। समारोह में इस्राइली अधिकारी, नेपाली राजनयिक और प्रवासी नेपाली समुदाय के सदस्य शामिल हुए। सोमवार दोपहर उनका पार्थिव शरीर नेपाल पहुंचा। काठमांडू में राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे ताबूत पर प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने पुष्प अर्पित किए और उन्हें देश का वीर पुत्र बताया। इसके बाद शव को कंचनपुर स्थित उनके गांव ले जाया गया, जहां हजारों लोगों ने अंतिम दर्शन किए।