
नई दिल्ली। देशभर के स्कूलों में एस्बेस्टस सीमेंट की शीटों का उपयोग करने पर रोक लगाने से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इन्कार कर दिया है। एनजीटी ने रिकॉर्ड पर लिया कि उसके आदेश के बावजूद स्कूलों के भवनों में एस्बेस्टस सीमेंट की शीट के उपयोग से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के संदर्भ में कोई विशिष्ट अध्ययन नहीं किया गया। हालांकि, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि भवन में एस्बेस्टस स्वत: ही फाइबर नहीं छोड़ता है, लेकिन यह स्वीकार किया कि एस्बेस्टस फाइबर अपक्षय के कारण हवा, पानी और मिट्टी में प्रवेश कर सकते हैं।
एनजीटी ने कहा कि ऐसे में किसी भी सकारात्मक विशिष्ट वैज्ञानिक साक्ष्य/सामग्री के अभाव में पूरे भारत के स्कूलों में एस्बेस्टस सीमेंट की शीट के उपयोग को तत्काल बंद करने का निर्देश देना उचित नहीं होगा।
एनजीटी ने दिया सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला
एनजीटी ने कल्याणेश्वरी बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2011 के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें शीर्ष अदालत ने एस्बेस्टस के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ी याचिका खारिज कर दी थी। उक्त तथ्यों को देखते
हुए एनजीटी न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी व पर्यावरण सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने केंद्र सरकार व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को इस संबंध में मौजूद वैज्ञानिक साक्ष्यों की छह महीने में समीक्षा करने व एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) तैयार करने का आदेश दिया।
एनजीटी ने केंद्र सरकार व सीपीसीबी को निर्देश दिया कि एटीआर में लिए गए नीतिगत निर्णय पर एक दिशानिर्देश व मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) दिल्ली सहित सभी केंद्र शासित व राज्यों के मुख्य सचिव को भेजी जाए। एनजीटी के उक्त आदेश से 1981 में स्थापित फाइबर सीमेंट उत्पाद निर्माता संघ (एफसीपीएमए) को बड़ी राहत मिली है।





















