नईदिल्ली, २६ अगस्त ।
पशु चिकित्सा सेवा की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए मत्स्य पालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पशुपालन एवं डेरी विभाग ने पशुओं के ब्लड ट्रांसफ्यूजन और ब्लड बैंकों के लिए देश के पहले व्यापक राष्ट्रीय दिशानिर्देश और मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) जारी किए हैं। इसमें असंगत ट्रांसफ्यूजन को रोकने के लिए रक्त समूह का मिलान अनिवार्य होगा। नए ढांचे के तहत राज्य के नियमों के तहत पशुओं के लिए ब्लड बैंक स्थापित किए जाएंगे जिनका बुनियादी ढांचा जैव सुरक्षा का अनुपालन करेगा। पशुओं में ट्रॉमा, एनीमिया, सर्जरी में ब्लडलास, संक्रामक रोगों के इलाज में ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जाता है। लेकिन अभी तक भारत में इसके लिए राष्ट्रीय ढांचा नहीं था। पशुओं में अधिकांश ब्लड ट्रांसफ्यूजन केवल आपात स्थिति में ही किए जाते थे, जो अक्सर डोनर की मानक जांच, रक्त समूह के मिलान या स्टोरेज प्रोटोकॉल के बिना किए जाते थे। नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य पशु चिकित्सा में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के सभी पहलुओं के लिए एक वैज्ञानिक, नैतिक और संरचित ढांचा प्रदान करना है।इसमें डोनर का चयन, ब्लड कलेक्शन, कंपोनेंट की प्रोसेसिंग, स्टोरेज, ट्रांसफ्यूजन प्रोसीजर्स, मानिटरिंग और सुरक्षा उपाय शामिल हैं। दिशानिर्देश भारतीय पशु चिकित्सा परिषद, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों, आईसीएआर संस्थानों, राज्य सरकारों, पशु चिकित्सकों व विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श के बाद तैयार किए गए हैं।दिशानिर्देश में डोनर्स के लिए स्पष्ट पात्रता मानदंड परिभाषित किए गए हैं, जिनमें स्वास्थ्य, टीकाकरण की स्थिति, आयु, वजन और रोग की जांच शामिल हैं। डोनर राइट्स चार्टर के निर्देशन में इसमें स्वैच्छिक तौर पर बिना पैसे के रक्त दान पर जोर दिया गया है। इसमें डिजिटल रजिस्ट्री, रीयल-टाइम इन्वेंटरी और आपातकालीन हेल्पलाइन की सुविधा वाले एक राष्ट्रीय पशु चिकित्सा ब्लड बैंक नेटवर्क बनाने का रोडमैप भी प्रस्तुत किया गया है। इसमें पशु चिकित्सा छात्रों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल, स्नातकोत्तर कार्यक्रम और चिकित्सकों के लिए सतत शिक्षा भी शामिल है। भारत का पशुधन और पशुपालन क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है। इसमें 53.7 करोड़ से अधिक पशुधन और 12.5 करोड़ से अधिक पालतू घरेलू पशु शामिल हैं। यह क्षेत्र राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 5.5 प्रतिशत और कृषि सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। साथ ही खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण आजीविका और सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।