
अंग्रेजों के जमाने के शब्दों को किनारे किया पुलिस ने
कोरबा। अंग्रेजों के समय बनी पुलिस की व्यवस्था और उसके कामकाज के तौर-तरीके में जिस भाषा का उपयोग किया गया, उसे समय के साथ बदलने की जरूरत महसूस की जाती रही है। छत्तीसगढ़ में इस तरफ काम शुरू हो गया है। भाषा के मानकीकरण और सहज, सरल, बोधगम्य को ध्यान में रखते हुए बदलाव जरूरी समझा गया। आम लोगों की समझ में आ सके, ऐसे हिन्दी के शब्दों पर पुलिस ने फोकस किया है। इसके फायदे गिनवाए जा रहे हैं।
पिछले दिनों गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस बारे में बेबाक तरीके से कहा था कि पुलिस के काम करने की शैली में सुधार के साथ-साथ लिखा-पढ़ी और व्यवहार की भाषा को बदलना भी जरूरी है। इसके पीछे कई कारण गिनाए गए। राष्ट्रीय स्त पर आईपीसी और सीआरपीसी का केवल नाम ही नहीं बदला गया बल्कि इनमें कई कटौती भी की गई और इसके पीछे के सिद्धांत भी स्पष्ट किए गए। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में पुलिस में बदलाव की बयार चली। उक्तानुसार व्यवहार और आम लोगों से संवाद के मामले में प्रभावी और आसानी से मस्तिष्क में प्रवेश करने में सहायक हो, इसलिए हिंदी का उपयुक्त माना गया। खबर के अनुसार निर्देशों के तहत कोरबा जिले के थाना-चौकियों में विभिन्न प्रकार के मामलों में बदलाव शामिल कर लिया गया है। शुरुआती परिवर्तन पुलिस रोजनामचा से शुरू हुआ है। अब तक रोजनामचा के नाम से जानी जाने वाली दर्ज प्रक्रिया को नया नाम दैनिक पंजिका दिया गया है। वहीं, जरायम जैसे पुराने और जटिल शब्द की जगह अब सरल और सटीक शब्द अपराध का प्रयोग किया जा रहा। इसी प्रकार, मामलों से संबंधित वस्तुओं को दर्शाने के लिए मसरूका शब्द की जगह अब सामान शब्द का उपयोग किया जा रहा है, जिससे रिपोर्ट और दस्तावेज आम लोगों के लिए अधिक समझने योग्य बन सकें। गवाही देने वाले व्यक्तियों को अब गवाह नहीं, बल्कि साक्षी कहा जाएगा, जो न्यायिक शब्दावली के अधिक नजदीक है। कहा जा रहा है कि भाषाई आधार बहुत सारी चीजों को बेहतर करने और उनकी उपयोगिता बढ़ाने का सबसे बड़ा माध्यम होते हैं। नि:संदेह इसके व्यापक परिणाम सामने आएंगे।
0 पहले की तुलना में प्रक्रिया होगी सरल
बताया गया कि पिछले महीने से अपने सभी रजिस्टर, रिपोर्ट और कार्यवृत्त में नई शब्दावली का उपयोग प्रारंभ कर दिया है। धीरे-धीरे यह परिवर्तन सभी थानों और पुलिस कार्यालयों में नियमित अभ्यास का हिस्सा बन जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस परिवर्तन से पुलिस की भाषा न केवल ज्यादा सरल और पारदर्शी बनेगी, बल्कि रिपोर्टिंग, जांच और जनसंपर्क की प्रक्रिया भी अधिक सुगम होगी। जनता को पुलिस दस्तावेजों को समझने में आसानी होगी और एक नए भरोसे का माहौल तैयार होगा।





















