इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने इंदौर में गुरुजी सेवा न्यास के कैंसर केयर रिसर्च सेंटर का शुभारंभ करते स्वास्थ्य और शिक्षा के व्यवसायीकरण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा समाज की मूलभूत आवश्यकताएं हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश ये अब सामान्य लोगों की पहुंच से बाहर हो गई हैं। पहले शिक्षा को एक कर्तव्य माना जाता था, लेकिन अब यह एक व्यवसाय बन गई है।

पश्चिमी देशों के दृष्टिकोण की आलोचना की

डॉ. भागवत ने पश्चिमी देशों के दृष्टिकोण की आलोचना करते कहा कि वहां केवल सशक्त लोग ही जीवित रह सकते हैं, जबकि भारतीय संस्कृति का मानना है कि सशक्त लोग सभी को जीवन प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि समाज का सुख व्यक्ति के सुख से जुड़ा है।

उन्होंने विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का उल्लेख करते कहा कि नेचुरोपैथी और होम्योपैथी जैसी पद्धतियां मरीजों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार उपचार करती हैं। कोई एक पद्धति सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकती, बल्कि मनुष्य की विविधता के अनुसार उपचार होना चाहिए। इससे पहले, डॉ. भागवत ने मालवा प्रांत की सद्भाव बैठक में भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को केवल उपभोग की वस्तु मानने वाले विचारों ने यूरोप को ध्वस्त कर दिया है और अब ये विचार भारत की पारिवारिक व्यवस्था को भी कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इंग्लैंड में 2021 में आयोजित डिस्मेंटलिंग हिंदुत्व सेमिनार का उल्लेख करते कहा कि यह विचारधारा समाज को तोड़ने का कार्य कर रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के बाजार पर कब्जा करना है