
सरकार के फैसले का लोगों ने किया स्वागत
कोरबा। कश्मीर के अनंतनाग जिले के अंतर्गत अमरनाथ यात्रा के प्रारंभिक बिंदु पहलगाम क्षेत्र में दो दिन पहले आतंकियों में 28 हिंदू पर्यटकों की हत्या कर दी। जाति और धर्म पूछ कर इस कृत्य को अंजाम दिया गया। भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पाकिस्तान को खड़ा सबक सिखाने के लिए कठोर निर्णय लिए हैं जिसका नागरिकों में स्वागत किया है। सरकार ने कहा कि सिंधु नदी जल समझौते की अब कोई जरूरत नहीं रह गई है इसलिए इसे रद्द किया जा रहा है । भारत में स्थित पाकिस्तान के डिप्लोमेट को देश छोडऩे को कहा गया है। इसके साथ ही किसी भी कारण से भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे की भीतर वापस जाने के लिए कह दिया गया है। पंजाब से लगती अटारी बॉर्डर को सील करने की कार्रवाई भी इसी कदम का हिस्सा है। इसके माध्यम से पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने की कोशिश की गई।
कौन दे रहा संरक्षण
प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका शीतल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली के बाद काफी समय तक स्थितियां ठीक-ठाक रही लेकिन एक बार फिर आतंक का काला साया परेशानी का सबक बनता नजर आ रहा है। इस बार भी वही सवाल उठ रहै है कि आखिर कश्मीर में आतंकी ताकतों को संरक्षण कौन से तत्व दे रहे हैं, इस पर भी कठोर एक्शन की जरूरत है।
रोटी देने वालों पर निशाना
कॉलेज छात्र आदित्य सिंह का कहना है कि जिस इलाके में कई कारण से प्राकृतिक सुंदरता है और टूरिज्म से ही जहां अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती रही , यह कहना गलत नहीं होगा कि आतंकी हरकतों में निर्दोषों की जान जाना संबंधित राज्य के इकोनामिक सिस्टम के लिए काफी नुकसान साबित होगा। यह बात समय के साथ स्थापित होती जा रही है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।
प्रधानमंत्री ने देशहित में लिए निर्णय
सामाजिक कार्यकर्ता राजू सोनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तात्कालिक तौर पर पाकिस्तान को लेकर जो पाबंदियां लगाई है और जो कड़े निर्णय लिए हैं वह न केवल उपयुक्त है बल्कि इनकी सर्वकालिक आवश्यकता भी है। जरूर इस बात की भी है कि अब की बार जो निर्णय लिए गए हैं उसे पर अडिग बना रहा जाए। आतंकी हरकतों के लिए पाकिस्तान को जवाब दिया गया है और आगे किसी भी प्रकार के लचीलेपन से बचना होगा।