
कोरबा । दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) को एक बड़ा झटका लगा है, वहीं भूमि अधिग्रहण से प्रभावित खातेदार परिवारों के लिए यह एक बड़ी जीत और ख़ुशी की ख़बर है। उच्चतम न्यायालय ने एसईसीएल की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कंपनी ने अधिग्रहण के बाद जन्मे व्यक्ति को रोज़गार के लिए अपात्र बताया था। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि अधिग्रहण के बाद जन्म लेने वाला व्यक्ति भी रोज़गार पाने का ह$कदार है।एसईसीएल प्रबंधन ने वर्ष 2014 से एक नियम का हवाला देते हुए भूमि अधिग्रहण के बाद जन्मे व्यक्तियों को रोज़गार देने से मना कर दिया था, जिसके कारण कुसमुंडा, गेवरा, दीपका और कोरबा सहित अन्य क्षेत्रों के बड़ी संख्या के खातेदार रोज़गार से वंचित हो गए थे। इससे पहले, ऐसे व्यक्तियों को रोज़गार दिया जाता था।
कुसमुंडा परियोजना के एक खातेदार पुत्र, राहुल जायसवाल ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका 6186 / 2019) दायर की थी। उच्च न्यायालय बिलासपुर की एकल पीठ ने 18 फरवरी 2025 को याचिकाकर्ता को 3 माह के भीतर रोज़गार देने का आदेश दिया।उक्त फैसले के खिलाफ की गई एसईसीएल की अपील को उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने खारिज कर दिया। इसके बाद, एसईसीएल ने उच्चतम न्यायालय में अपील की, जिसे उच्चतम न्यायालय ने भी खारिज कर दिया। हालांकि अपील को खारिज करने का आधार देर से अपील होना कहा। उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय से यह स्पष्ट और स्थापित हो गया है कि भूमि अधिग्रहण के बाद जन्मे व्यक्ति भी रोज़गार के लिए पात्र हैं। माटी अधिकार मंच की और से उक्त जानकारी दी गई है हालांकि एसईसीएल प्रबंधन का पक्ष अभी प्राप्त नहीं हुआ हैं।
‘माटी अधिकार मंच’ संगठन पिछले तीन वर्षों से लगातार मुख्यालय बिलासपुर और संबंधित क्षेत्रों में धरना-प्रदर्शन और गेट जाम कर रहा था। हाल ही में, उसने 13 और 14 अगस्त को एसईसीएल मुख्यालय में अनिश्चितकालीन गेट जाम और 9 सितंबर को कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय का गेट जाम किया गया था। इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप, सीएमडी बिलासपुर के साथ 14 अगस्त और 13 अक्टूबर को तथा एसडीएम कार्यालय कटघोरा में 14 अक्टूबर को त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की गईं। संगठन के अध्यक्ष ब्रजेश कुमार श्रीवास ने बताया कि पूर्व में एसईसीएल अधिकारी यह कहकर गुमराह कर रहे थे कि न्यायालय का आदेश केवल याचिकाकर्ता पर ही लागू होगा। हालांकि, लगातार दबाव और तथ्यों को रखने पर, अब अधिकारी ‘सार्वभौमिकता के सिद्धांत’ के आधार पर एक गाइडलाइन बनाकर इस आदेश का लाभ सभी पात्र लोगों को देने के लिए तैयार हैं।
श्रीवास का कहना है कि मुख्यालय के अधिकारियों ने भी आश्वस्त किया है कि राहुल जायसवाल प्रकरण का निराकरण होते ही, कानूनी राय लेकर सभी अधिग्रहण के बाद जन्मे व्यक्तियों को रोज़गार देने की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। माटी अधिकार मंच ने स्पष्ट किया है कि जब तक सभी पात्र व्यक्तियों को रोज़गार नहीं मिल जाता, तब तक उनका प्रयास जारी रहेगा। रोज़गार प्रक्रिया में किसी भी विलंब या आनाकानी की स्थिति में संगठन मुख्यालय और एरिया स्तर पर उग्र आंदोलन करेगा। संगठन की अगली महत्वपूर्ण बैठक 2 नवंबर को आयोजित की गई है। इस बैठक में अधिग्रहण के बाद जन्मे नामित उम्मीदवारों के अलावा, खाता संयोजन और अन्य लंबित मुद्दों पर चर्चा कर आगे के आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।



























