
जांजगीर।जांजगीर जिले में प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीणों को संपत्ति का स्वामित्व देने की प्रक्रिया अटक गई है। सर्वे ऑफ इंडिया से आबादी भू-नक्शा(मैप) समय पर न मिलने के कारण 137 गांवों के लोगों को अभी तक अधिकार अभिलेख नहीं मिल पाए हैं। हालांकि योजना के तहत दो साल के भीतर 14306 हितग्राहियों का अधिकार अभिलेख जारी हो चुका है।
गांवों की आबादी भूमि में रहने वाले लोगों को भू-स्वामित्व का अधिकार देने के लिए केंद्र सरकार ने चार साल पहले वर्ष 2020 में पंचायती राज दिवस के अवसर पर स्वामित्व योजना की शुरुआत की थी। इसके लिए गांव-गांव में राजस्व विभाग की टीम ने ड्रोन मैपिंग भी कराई। जिले में 410 गांवों के ग्रामीणों को संपत्ति पर अधिकार अभिलेख और स्वामित्व प्रमाण पत्र देने की योजना बनाई गई थी। सालभर के भीतर 405 गांवों की आबादी भूमि का सर्वे ऑफ इंडिया से मैप-1 प्राप्त हुआ है, जबकि 310 गांवों की आबादी भूमि का अधिकार अभिलेख(मैप-2) का प्रारंभिक प्रकाशन हो चुका है।
योजना का उद्देश्य था कि ड्रोन की मदद से गांव की आबादी भूमि का नक्शा तैयार किया जाए और लोगों को उस पर स्वामित्व प्रमाण पत्र दिया जाए। 6आबादी क्षेत्र का रहेगा पूरा रिकार्ड:- गांव में हजारों लोग वर्षों से बसे हैं। गांवों में लोग पुरखों के जमाने से मकान बना रह रहे हैं, पर जहां वे रह रहे हैं, उसका रिकॉर्ड नहीं है। एक ही खसरा नंबर पर बड़ी संख्या में लोग बसे हैं। कोई नाप या पैमाना नहीं है कि किसकी कितनी जमीन है। ऐसी ही जमीन को आबादी क्षेत्र कहा जाता है। इस योजना के तहत आबादी क्षेत्र रिकार्ड तैयार किया जा रहा है।






















