
कोरबा। सब डिविजन मुख्यालय कटघोरा में महिला स्व सहायता समूह द्वारा संचालित गढक़लेवा पर मंडरा रहा संकट टल गया है। प्रशासन ने इस बारे में आई आपत्ति खारिज कर दी। इसके साथ ही लोगों को गढक़लेवा की सेवाएं यथा स्थान पर मिलती रहेगी।
चिंटू नामक व्यक्ति ने पशु चिकित्सालय में गढक़लेवा के संचालन पर सवाल उठाए थे और जिसके बाद प्रभाव में आकर पशु चिकित्सा विभाग ने इस महीने के अंत तक जगह खाली करने को कहा था। महिला समूह ने प्रशासन को वास्तविकता बताई, जिस पर प्रशासन ने कहा कि वे अपना काम बेहतर ढंग से करते रहें। प्रशासन ने यह भी कहा कि गढक़लेवा राज्य शासन की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसके माध्यम से छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों को एक ही स्थान पर परोसा जाता है। इससे न केवल स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि युवा पीढ़ी भी अपनी परंपराओं से जुड़ रही है।
कलेक्टर ने कहा कि इस संबंध में जो शिकायतें आई हैं, वे बिलकुल निराधार और तथ्यों से परे हैं। श्रिया महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष नीलम सोनी ने कलेक्टर और जिला प्रशासन का आभार जताते हुए कहा कि इस समूह से जुड़ी लगभग 250 महिलाओं की आजीविका का यही एकमात्र सहारा है। उन्होंने बताया कि गढक़लेवा न केवल एक व्यावसायिक केंद्र है, बल्कि यह महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक सशक्त माध्यम भी है।
नीलम सोनी ने यह भी बताया कि राज्य और केंद्र सरकार की महिला सशक्तिकरण की योजनाओं के तहत गढक़लेवा एक सफल उदाहरण बन चुका है। यहां परंपरागत छत्तीसगढ़ी व्यंजन जैसे चीला, फरा, भजिया, बाड़ी, देसी मिठाई आदि परोसे जाते हैं, जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के बीच लोकप्रिय हो चुके हैं। महिलाओं की इस पहल ने यह साबित कर दिया कि यदि प्रशासनिक सहयोग मिले तो महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनते हुए पारंपरिक संस्कृति को जीवित रख सकती हैं। कलेक्टर के आदेश के बाद समूह की महिलाओं में उत्साह देखा गया और सभी ने मिलकर गढक़लेवा को और बेहतर ढंग से संचालित करने का संकल्प लिया।