नईदिल्ली, 0३ अगस्त ।
ट्रंप के 25 प्रतिशत टैरिफ का मुकाबला सरकार और निर्यातक दोनों मिलकर करेंगे। ताकि अमेरिका के बाजार में भारतीय निर्यात में कमी नहीं आए। शनिवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मुंबई में टेक्सटाइल व इंजीनियरिंग गुड्स के निर्यातकों से मुलाकात की।ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित सेक्टर से जुड़े एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल को सरकार ने मदद के लिए प्रस्ताव देने को कहा है। मुख्य रूप से गारमेंट, लेदर आइटम, फुटवियर, जेम्स व ज्वैलरी, इंजीनियरिंग गुड्स जैसे सेक्टर को वित्तीय मदद की जरूरत दिख रही है क्योंकि ये सेक्टर रोजगारपरक है और शुल्क की वजह से इन सेक्टर का निर्यात प्रभावित होने पर रोजगार पर असर पड़ेगा। पिछले तीन सालों से इन सेक्टर का निर्यात अमेरिका के बाजार में लगातार बढ़ रहा है। ट्रंप के 25 प्रतिशत टैरिफ से अमेरिका होने वाले वस्तु निर्यात में 25 अरब डॉलर तक की कमी आने की आशंका है। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के चेयरमैन आर. के. जालान ने बताया कि अभी भारतीय वस्तु पर 10 प्रतिशत का शुल्क लग रहा है जो सात अगस्त से 25 प्रतिशत हो जाएगा।वर्तमान शुल्क और सात अगस्त से लगने वाले शुल्क में 15 प्रतिशत का अंतर है और हम सरकार से इस 15 प्रतिशत की भरपाई में वित्तीय सहायता चाहते हैं। उन्होंने बताया कि निर्यातक अपने मार्जिन को कम कर सकता है और कुछ बोझ खरीदार उठा सकता है। ऐसे में सरकार को बहुत अधिक वित्तीय सहायता देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने बताया कि चार अगस्त को वाणिज्य मंत्रालय में टैरिफ के प्रभाव को कम करने के उपाय को लेकर लेदर काउंसिल के साथ बैठक बुलाई गई है। जेम्स व ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पदाधिकारी भी वाणिज्य मंत्री से मिलने वाले हैं। निर्यातकों का कहना है कि वह अमेरिका के अपने खरीदार को खोना नहीं चाहते हैं।
शुल्क को लेकर एक-दो महीने की परेशानी है क्योंकि अक्टूबर तक भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता के पहले चरण के पूरा होने पर इस 25 प्रतिशत के शुल्क का कोई मायने नहीं रह जाएगा। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने बताया कि ट्रंप ने 25 प्रतिशत के शुल्क के साथ भारत पर अतिरिक्त जुर्माना लगाने की भी घोषणा की थी, लेकिन जुर्माने को लेकर स्थिति साफ नहीं होने से अमेरिका के खरीदार नए ऑर्डर नहीं दे रहे हैं। अमेरिकी खरीदार को डर है कि ट्रंप कभी भी जुर्माने की दर का ऐलान कर सकता है।ऐसे में, उन्हें भारतीय वस्तुओं की खरीदार पर जुर्माना भी देना पड़ेगा और उनकी लागत बढ़ जाएगी। निर्यातकों ने बताया कि सात अगस्त तक नए शुल्क से छूट है, लेकिन इतने कम समय में वे नए आर्डर को लेकर उसकी डिलिवरी नहीं कर सकते है। पहले से तैयार माल को जरूर वे सात अगस्त से पहले अमेरिका के खरीदारों को भेजना चाह रहे हैं।