
इंफाल, 0५ मई ।
मणिपुर में पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों ने बंदूक की सलामी देने वाले सशस्त्र कैडरों को पकडऩे के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया है। जातीय संघर्ष शुरू होने की दूसरी वर्षगांठ पर कैडरों ने शनिवार को कांगपोकपी जिले में जातीय हिंसा में मारे गए लोगों को बंदूक से सलामी देकर श्रद्धांजलि दी थी। कानून के अनुसार, सुरक्षाकर्मियों को छोडक़र कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्यक्रम में बंदूक का प्रदर्शन नहीं कर सकता है और न ही मृतक को बंदूक की सलामी दे सकता है। तीन मई 2023 को मैतेयी और कुकी-जो समुदाय में जातीय हिंसा भडक़ने के बाद से 260 से अधिक लोग मारे गए, 1,500 घायल हुए और 70 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। अधिकारी ने बताया कि कांगपोकपी जिले के सैकुल में बंदूक की सलामी देने की घटना के सिलसिले में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। स्थानीय नेताओं और बुजुर्गों को थाने में बुलाकर बंदूक की सलामी देने वाले हथियारबंद कैडरों के बारे में जानकारी जुटाई गई। पुलिस के अनुसार बंदूकधारियों को गिरफ्तार करने के लिए विभिन्न इलाकों में छापे मारे गए हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सैकुल से पांच सिंगल बैरल बंदूकें बरामद की गई हैं। पुलिस जनता से लगातार आग्रह कर रही है कि वे लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक पुलिस या अन्य सुरक्षा बलों के समक्ष तुरंत सरेंडर कर दें।मणिपुर में जातीय संघर्ष के दो वर्ष पूरे होने पर शनिवार को मैतेयी और कुकी-जो समुदाय के संगठनों ने शनिवार को अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए। राज्यव्यापी बंद रखा गया। बंद से पूरे राज्य में जनजीवन ठप हो गया। मैतेयी ग्रुप कार्डिनेटिंग कमेटी आन मणिपुर इंटीग्रिटी (सीओसीओएमआई) ने घाटी के जिलों में बंद का आह्वान किया था, जबकि जोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन (जेडएसएफ) और कुकी स्टूडेंट्स आर्गनाइजेशन (केएसओ) ने पहाड़ी जिलों में बंद रखा।