
सक्ती। जिला मुख्यालय सक्ती के वार्ड नंबर 11, नारायण सागर रोड स्थित उद्यान के पास आगामी 14 दिसंबर को विराट हिंदू सम्मेलन होगा। हिंदू सम्मेलन आयोजन समिति सक्ती के जिला संयोजक गोविंद देवांगन और जिला सह संयोजक संजय कश्यप ने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट कर उसकी सांस्कृतिक शक्ति व सामाजिक एकता को मजबूत करना है। समिति के अनुसार यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक संरक्षण का संदेश भी देगा।
आयोजन समिति ने बताया कि सम्मेलन की मूल भावना हिन्दुक: सोदरा: सर्वे, न हिंदू पतितो भवेत्ज् मम दीक्षा हिन्दू रक्षा, मम मंत्र: समानता के मंत्र पर आधारित है, जिसका अर्थ है सभी हिंदू आपस में भाई-भाई हैं, कोई भी हिंदू पतित नहीं है, हिंदू समाज की रक्षा करना और समानता की भावना को स्थापित करना ही हमारा कर्तव्य है। इन्हीं विचारों को साकार रूप देने के लिए नारायण सागर रोड स्थित उद्यान के पास यह विशाल कार्यक्रम रखा गया है। उन्होंने आगे बताया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य समाज में एकता, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और समग्र विकास की दिशा में संयुक्त प्रयास सुनिश्चित करना है। देवांगन ने सभी नागरिकों से आव्हान किया कि वे अपने परिवारजनों के साथ इस पुण्य अवसर का हिस्सा बनें और सामाजिक समरसता तथा सांस्कृतिक उत्थान में योगदान दें। कार्यक्रम 14 दिसंबर की दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक नारायण सागर रोड, उद्यान/गार्डन के पास, सक्ती (छत्तीसगढ़) में होगा।
सम्मेलन की तैयारियां की जा रही जिला संयोजक गोविंद देवांगन ने बताया कि सम्मेलन को लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। मंच, पंडाल, श्रद्धालुओं की बैठने की व्यवस्था, पार्किंग, भंडारा, सुरक्षा और यातायात प्रबंधन को लेकर विभिन्न समितियाँ गठित की गई हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन सक्ती जिले के इतिहास में सबसे बड़ा हिंदू सम्मेलन बनने जा रहा है। प्रदेश के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों से प्रमुख वक्ता कार्यक्रम में शामिल होंगे। वे हिंदू समाज की एकता, संस्कृति, राष्ट्र निर्माण और समग्र विकास से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर मार्गदर्शन देंगे। कार्यक्रम स्थल पर धार्मिक माहौल को सुदृढ़ करने के लिए सत्संग, भजन-कीर्तन तथा आध्यात्मिक संगोष्ठी की भी तैयारी की गई है। समिति के अनुसार सम्मेलन का उद्देश्य केवल एक धार्मिक आयोजन करना नहीं, बल्कि समाज में जागरूकता, एकजुटता और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ावा देना है।
















