
नईदिल्ली, १८ अक्टूबर ।
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से प्रेसेडेंशियल रेफरेंस से जुड़ी याचिका पर संविधान पीठ का फैसला आने तक इंतजार करने को कहा है। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि 21 नवंबर से पहले इस पर फैसला आ सकता है। तमिलनाडु सरकार ने शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025, पर राज्यपाल आरएन रवि को खुद फैसला लेने की बजाय बिल को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजने के खिलाफ याचिका दायर की है। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि संविधान पीठ का फैसला आने के बाद तमिलनाडु के बिल मुद्दे पर सुनवाई होगी। पीठ ने कहा कि 21 नवंबर (न्यायमूर्ति गवई की सेवानिवृत्ति) से पहले इस मामले में फैसला आ जाएगा। आपको चार हफ्ते इंतजार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर को प्रेसिडेंशियल रेफरेंस से जुड़ी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। इसमें कहा गया था कि क्या संविधान पीठ विधायिका से पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा निर्धारित कर सकती है।सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी थी कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना राज्यपाल किसी बिल को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए नहीं भेज सकते हैं।
सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि 2015 से 2025 के बीच राज्यपालों ने 381 विधेयकों को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा है।मेहता ने कहा कि यदि इसे न्यायोचित माना जाए तो इन मुद्दों पर निर्णय के लिए स्थायी रूप से दो अलग-अलग पीठ बनानी होंगी। राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि आज सवाल यह है कि क्या राज्यपाल न्यायाधीश की तरह हर खंड की जांच कर सकते हैं।