
पहचान देने के मामले में चिमनियों की भी भूमिका
कोरबा। छत्तीसगढ़ के इंडस्ट्रियल हब कहे जाने वाले कोरबा को चिमनियों का शहर कहने में क्या कोई दिक्कत हो सकती है? यहां एक नहीं, दो नहीं, बल्कि 20 से अधिक चिमनियां स्थापित है। पावर प्लांटों के कारण आसपास के वातावरण पर बुरा असर पड़ रहा है लेकिन शहर के बीचोबीच गगनचुंबी चिमनियों को देखना किसी रोमांच से कम भी नहीं है।
छत्तीसगढ़ राज्यपाल अलंकरण से सम्मानित शिवराज शर्मा कहते हैं कि कोरबा जिले में पहाड़ी और जंगलों के बीच कई खूबसूरत पर्यटन स्थल और वाटर फॉल मौजूद है.जो पर्यटकों को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित करते है।वहीं कोयला खदान और आधा दर्जन से अधिक पावर प्लांटों की मौजूदगी कोरबा को अलग पहचान दिलाता है। प्लांटों की गगनचुंबी चिमनिया लोगो को रोमांचित करती है।शहर में 15 किलोमीटर के रेंज में 20 से अधिक चिमनियां स्थापित है जो बाहर से आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। लोग सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि एक सामान्य शहर में इतने सारे उद्योग की स्थापना के पीछे आखिर प्रमुख आधार क्या हो सकता है। कोरबा में पहला 100 मेगावाट क्षमता का पहले पावर प्लांट स्थापित हुआ मध्य प्रदेश के समय में। तत्कालीन मुख्यमंत्री कैलाश नाथ काटजू ने इसकी आधारशिला रखी थी। रूस के इंजीनियर इसमें काम करने के लिए आए और इस समय रशियन हॉस्टल का निर्माण भी हुआ जो अभी भी अस्तित्व में है। बाद में 220 मेगावाट क्षमता वाला दूसरा पावर प्लांट खड़ा हुआ। जो कुछ वर्ष पहले ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की आपत्ति की वजह से बंद हुआ और फिर उसे कौडिय़ों के दाम बेच दिया गया। यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑ$फ इंडिया के पदाधिकारी संदीप सेठ ने बताया कि कोरबा में बिजली घरों की स्थापना के शुरुआती दौर में कोरबा का स्वरूप गांव जैसा था। पानी और कोयले की मौजूदगी के कारण एक के बाद एक बड़े बड़े कारखाने स्थापित हुए।अब कोरबा लघु भारत के रूप में जाना जाता है।यहां एनटीपीसी, बालको, सीएसईबी, लैंको पावर प्लांट संचालित है। एनटीपीसी के प्लांट में सबसे ज्यादा 9 चिमनियां है। दर्री बराज पर खड़े होकर देखा जाए तो चारो तरफ चिमनी ही चिमनी नजर आती है।ये तस्वीर अपने आप में रोमांच का अनुभव कराती है। बाहर से आने वाले सैलानी चिमनियों को देखने के लिए पहले शहर में विजिट करते है। उसके बाद पहाड़ी और जंगल के बीच मौजूद पर्यटन स्थलों का रुख करते है। शहर में फैल रहे प्रदूषण का कारण ये पावर प्लांट और चिमनियां है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। मगर सच ये भी है कि इन्हीं संयंत्रों की वजह से कोरबा जैसे छोटे से शहर की दुनिया में पहचान बनी है।