
रामपुर, 0६ दिसम्बर ।
दो पैन कार्ड में सपा नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। सात साल की सजा बढ़ाने की मांग को लेकर अभियोजन पक्ष की ओर से सेशन कोर्ट में अपील दायर की गई है। दूसरी ओर सजा के खिलाफ आजम के अधिवक्ताओं ने और राहत की मांग को लेकर कई तर्क दिए हैं। सेशन कोर्ट अब इन दोनों बिंदुओं पर 23 दिसंबर को अपना फैसला सुना सकती है। दो पैन कार्ड में एमपी- एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पिछले दिनों सपा नेता आजम खां और अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा व 50-50 हजार रुपये का जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी। इस मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के खिलाफ अब सेशन कोर्ट में शरण ली है। उनके अधिवक्ताओं की ओर से सेशन कोर्ट में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर की गई है। इसके साथ ही जमानत के लिए भी प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है, जिस पर सेशन कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से सात साल की सजा बढ़ाए जाने की मांग को लेकर अपील दायर की गई। सहायक शासकीय अधिवक्ता सीमा सिंह राणा के अनुसार अभियोजन की ओर से प्रार्थना पत्र दिया गया है, जिसमें अभियोजन की ओर से निचली अदालत की ओर से दी गई सात साल की सजा को बढ़ाने की मांग की गई। इस प्रार्थना पत्र पर 23 दिसंबर को सुनवाई होगी।
वहीं दूसरी ओर इस मामले में आजम खां के अधिवक्ताओं की ओर से दाखिल अपील पर बचाव पक्ष की ओर से अतिरिक्त आधार भी दाखिल किए गए। एडीजीसी ने बताया कि दोनों ही प्रार्थना पत्रों पर कोर्ट 23 दिसंबर को सुनवाई करेगी। दो पैन कार्ड मामले में सात साल की सजा काट रहे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को दो पासपोर्ट मामले में भी सात साल की कैद व पचास हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई है।
एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए इस मुकदमे का फैसला सुनाया है।
सपा नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो पासपोर्ट का मामला शहर विधायक आकाश सक्सेना ने सिविल लाइंस थाने में 2019 में दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि अब्दुल्ला आजम के पास दो पासपोर्ट हैं, जिसमें से एक पासपोर्ट का इस्तेमाल वह विदेश यात्रा में भी कर चुके हैं। दोनों में जन्म की तारीखें अलग-अलग हैं।यह मामला एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में विचाराधीन था। इस मामले में दर्ज मुकदमे को निरस्त करने को लेकर अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू हुई। इस मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया।सुनवाई के लिए आरोपी पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। कोर्ट ने पहले इस मुकदमे में अब्दुल्ला आजम को दोषी करार दिया। एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट शोभित बसंल ने इस मामले में अब्दुल्ला आजम को सात साल की सजा व पचास हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है।


















