
रेलवे ट्रैक के नीचे से होना है पाइपलाइन की शिफ्टिंग
कोरबा। प्रशासन और रेलवे की बराबर की साझेदारी से कोरबा में पहली रेल अंडरपास संजय नगर क्षेत्र में बना है प्राथमिक प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई है लेकिन पाइपलाइन शिफ्टिंग के मामले में रेलवे की अनुमति अब तक नहीं मिल सकी। इस वजह से निर्माण का काम लगातार देर हो रहा है। नगर पालिक निगम इसी के इंतजार में है।
लगभग 31 करोड रुपए की लागत से रेल अंडरपास का निर्माण कोरबा के संजय नगर क्षेत्र में रेलवे क्रॉसिंग इलाके में होना है। बीते कई दशक से यहां बार-बार फाटक बंद होने और जाम लगने के कारण लोग परेशान हैं। कई मौके पर सर्वे और बजट में काम को शामिल करने के बाद भी आगे की प्रक्रियाएं नहीं हो सकी। पिछले वर्ष हुई अप्रोच के बाद जिला खनिज न्यास और रेलवे ने कुल लागत की आधी आधी राशि देना तय किया और इस प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया। निर्माण कार्य के लिए छत्तीसगढ़ सेतु निगम की कोरबा इकाई को अधिकृत किया गया है जिसके द्वारा इस कार्य का टेंडर प्रक्रिया में लाया गया है। निर्माणाधीन क्षेत्र के आसपास लंबे समय से निवासरत लोगों को लगभग 9 करोड रुपए का मुआवजा बांट दिया गया है। इनमें से अब कुछ ही मामले हाईकोर्ट में विचाराधीन है जिनका निराकरण जल्द होना है।
छत्तीसगढ़ सेतु निगम के कोरबा स्थित सब डिवीजन ऑफिसर ने बताया कि पहले ही निर्माण कार्य की निविदा लगाई जा चुकी है। बिड के स्तर पर प्रक्रिया की जा रही हैं जबकि कीमत के स्तर पर कार्य फाइनल होना बाकी है। पूरी उम्मीद है कि संभवत नवंबर महीने में इसे मूर्त रूप दे दिया जाएगा।
हर कोई इस बात को जानना चाहता है कि आखिर कोरबा की समस्या के समाधान के लिए प्रस्तावित संजय नगर रेल अंडरपास के निर्माण में आखिर किस प्रकार की मुश्किलें सामने आ रही है। नगर निगम के जल प्रदाय विभाग के प्रमुख राकेश मसीह ने बताया कि लगभग 1 करोड़ 65 लख रुपए की लागत से रेल अंडर पास के आसपास की वाटर सप्लाई पाइपलाइन की शिफ्टिंग का अधिकांश काम पूरा कर लिया गया है। सबसे बड़ा अड़ंगा रेलवे ट्रैक के नीचे के हिस्से से पाइपलाइन को शिफ्ट करने का बचा हुआ है। रेलवे के पास बहुत पहले इस बारे में आवेदन दिया गया था लेकिन उसकी ओर से अब तक अनुमति प्राप्त नहीं हुई है और सिर्फ इस कारण से शिफ्टिंग का एक हिस्सा बचा हुआ है। सबसे गौर करने वाली बात यह है कि कम से कम तीन बार पाइप लाइन की शिफ्टिंग को लेकर रेलवे के अधिकारी खुद इस इलाके का निरीक्षण कर चुके हैं और वस्तु स्थिति को समझ चुके हैं। इसके बावजूद अनुमति की प्रक्रिया विलंबित करना समझ से परे हैं।

























