कोरबा । कोरबा जिले में रूक-रूककर हो रही बारिश के कारण एसईसीएल का कोयला उत्पादन सबसे अधिक प्रभावित हुआ हैं। लगभग 54 हजार टन तक कोयला उत्पादन घट गया। कोल कंपनी ने महज 1 लाख 94 हजार टन कोयला उत्पादन किया, जो डेली कोल प्रोडक्शन का लक्ष्य 4 लाख 38 हजार टन से 2 लाख 44 हजार टन कम उत्पादन रहा। कोल इंडिया की सुपर माइंस श्रेणी में शुमार एसईसीएल गेवरा, कुसमुंडा व दीपका का उत्पादन भी उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा। इन खदानों का करीब 40 प्रतिशत कोयला उत्पादन घट गया। इससे कोयले का प्रेषण भी कम हुआ। बारिश पश्चात एसईसीएल की खुले मुहानो की खदानों में भारी मशीनों, वाहनों का परिचालन मुश्किल हो रहा है। कोयला उत्पादन पर सबसे ज्यादा असर रात के शिफ्ट की ड्यूटी पर पड़ रहा है। बारिश में भारी भरकम मशीन व वाहनों के ऑपरेटर को ज्यादा सावनधानी बरतनी पड़ती है। बारिश होने पर खनन कार्य भी बंद करना पड़ता है। इसका असर कोयला उत्पादन पर पड़ा है। कोल इंडिया के जारी उत्पादन आंकड़े के मुताबिक शुक्रवार को गेवरा व कुसमुंडा खदान ने 1 लाख टन से कम उत्पादन किया। गेवरा ने 59 हजार टन और कुसमुंडा का 59 हजार टन कोल प्रोडक्शन रहा। वहीं दीपका खदान ने 25 हजार टन कोयला उत्पादन किया। अगले कुछ दिन तक अभी बदली रहने के साथ बारिश की संभावना है, इससे मेगा खदान में बारिश से उत्पादन पर असर को कम करने माइन प्लान तैयार किया है। बारिश के मौसम को देखते हुए एसईसीएल के डेली कोल प्रोडक्शन का लक्ष्य पहले ही घटा दिया गया है और इसे 5 लाख टन से कम कर 4 लाख 38 हजार टन किया गया है। हालांकि प्रबंधन को उम्मीद है कि बारिश से कोयला उत्पादन में नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई मानसून बीतने के बाद कर लेंगे। बीते तीन दिन से रूक-रूककर बारिश होने पर कोल स्टॉक में रखे कोयले को प्रेषण कर भरपाई की जा रही है। एसईसीएल ने जुलाई के पहले पखवाड़े में ही एक दिन में 4 लाख टन तक कोयले का उत्पादन किया है। इसके बाद बीच में बारिश होने पर भी ढाई लाख टन के करीब उत्पादन करने में सफल रही है। मगर शुक्रवार को एक दिन में 2 लाख टन से कम का उत्पादन एसईसीएल की चिंता बढ़ाई है। बारिश की वजह से खदानों में उत्पादन के साथ प्रेषण भी प्रभावित हुआ है। बारिश के चलते सडक़ें खराब होने से रोड सेल से प्रेषण पर प्रभाव पड़ता है। शुक्रवार को कुसमुंडा माइंस में पूर्व के ओवरबर्डन पुल से एंट्री करने वाली भारी वाहनों भी खड़े रहे।