धान की फसल में लाल मकड़ी का प्रकोप, लैब न होने से जांच प्रभावित

जांजगीर। जिले में इन दिनों धान की फसल पर लाल मकड़ी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। खेतों में धान के दानों का रंग लाल और बदरंग होता जा रहा है, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि लाल मकड़ी के कारण दाने काले और सूखे नजर आ रहे हैं, साथ ही पौधों की वृद्धि भी रुक गई है।
कृषि विज्ञान केंद्र, जांजगीर में फिलहाल स्टीरियो माइक्रोस्कोप जैसी आधुनिक प्रयोगशाला सुविधा नहीं है, जिससे लाल मकड़ी की सटीक पहचान और उपचार संबंधी परीक्षण संभव नहीं हो पा रहे हैं। किसानों को नमूने जांच के लिए रायपुर भेजने पड़ रहे हैं, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी हो रही है। बाजार में उपलब्ध कीटनाशक दवाएं मुख्यत: सब्जियों और अन्य फसलों के लिए हैं, इसलिए धान में उनका अपेक्षित असर नहीं हो रहा है। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि जिले में ही उन्नत प्रयोगशाला और विशेषज्ञ टीम की व्यवस्था की जाए, ताकि समय पर कीट की पहचान और प्रभावी नियंत्रण किया जा सके।

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