
जनकपुर। एमसीबी जिले के विकासखंड मुख्यालय जनकपुर नगर में शिक्षा विभाग की लापरवाही और शिथिल व्यवस्था ऐसा है, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहा है। शिक्षा और आदिवासी विभाग से एक से दो वर्ष पहले सेवानिवृत्त हुए आधा दर्जन कर्मचारी अब तक विभाग द्वारा आवंटित शासकीय आवास को खाली नहीं कर रहे हैं। बल्कि सेवानिवृत्त के वर्षों बाद भी सरकारी मकान पर कब्जा बनाए हुए है, और सरकारी आवास को तोडक़र निजी आवास बनाने में जुटे हुए है। जबकि विभागीय जानकारी के अनुसार नियम यह है कि कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतम 2 से 3 महीने के भीतर सरकारी आवास खाली किया जाना अनिवार्य है। लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही व ढिलाई के कारण जनकपुर नगर में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सरकारी आवासों पर कब्जा बनाए रखना बेहद आसान हो गया है। जिससे यहाँ नए पदस्थ व कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी मजबूरी में किराए के मकानों में रहने को मजबूर हो रहे हैं, वहीं सरकारी आवास को रिटायर्ड कर्मचारियों के द्वारा इन दिनों धड़ल्ले से खुलेआम निजी आशियाने में बदला जा रहा हैं। जबकि शासकीय आवास नीति के तहत कोई भी कर्मचारी सेवानिवृत्ति के पश्चात अधिकतम 90 दिनों तक ही सरकारी आवास में रह सकता है। इसके बाद यदि सेवानिवृत्त कर्मचारी द्वारा आवास खाली नहीं किया जाता है तो इसे अनाधिकृत कब्जा माना जाता है और विभाग को कानूनी कार्यवाही का अधिकार होता है। लेकिन सवाल यह है कि शिक्षा विभाग इतने वर्षो से चुप क्यों है। जनकपुर नगर में सिर्फ शिक्षा विभाग के सरकारी आवासों में कब्जे का मामला भर नहीं है, यहाँ के अन्य विभागों जिनमें जनपद, पीडब्ल्यूडी, महिला बाल विकास और राजस्व विभाग के भी कई शासकीय आवासों पर सेवानिवृत्त अधिकारी – कर्मचारी अब भी सरकारी आवासों में अवैध रूप से कब्जा जमाए हुए हैं। ये सेवानिवृत्त कर्मचारी सरकारी आवास को अपनी निजी मिल्कियत की तरह उपयोग कर रहे हैं।परिणाम स्वरूप जरूरतमंद कर्मचारियों को सरकारी आवास की सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है।































