
सावन सोमवार व्रत कथा सावन महीना देवी और शिव का समन्वय काल है। शास्त्रों में सावन को शिव-पार्वती मिलन काल कहा गया है लेकिन कम ज्ञात तथ्य यह है कि यह काल स्त्री और पुरुष ऊर्जा (शिव-शक्ति), इड़ा और पिंगला नाड़ी, सूर्य और चंद्र तत्व का संतुलन बिंदु होता है। इस कारण सावन में स्त्रियां शिव की पूजा करती हैं (शक्ति से शिव की ओर) पुरुष व्रत करते हैं (शिव से शक्ति की ओर) आएं पढ़ें, सावन सोमवार व्रत से जुड़ी प्रमुख व्रत कथाएं, जो श्रद्धालु सावन मास के प्रत्येक सोमवार को व्रत करते समय पढ़ें या सुनें। ये कथाएं शिव भक्तों की आस्था, भक्ति और उनके जीवन में आए चमत्कारों को दर्शाती हैं। आप भी भोले बाबा से प्रार्थना करें, जैसे इन शिव भक्तों के जीवन में चमत्कार हुए वैसे आपकी जिंदगी में भी कभी किसी चीज का अभाव न रहे।
सावन सोमवार व्रत कथा
प्राचीन काल की बात है। एक नगर में एक व्यापारी रहता था। वह बहुत धनवान था लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। संतान की प्राप्ति के लिए वह और उसकी पत्नी ने अनेक देवी-देवताओं की पूजा की, किंतु संतान सुख नहीं मिला। एक दिन किसी साधु ने उन्हें बताया कि वह सावन के महीने में भगवान शिव का व्रत करें और सोमवार को व्रत रखकर शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं।
व्यापारी ने ऐसा ही किया। उसने पूरे सावन मास में सोमवार का व्रत रखा, व्रत की कथा सुनी और भगवान शिव की उपासना की। अंत में भगवान शिव प्रसन्न हुए और उसे एक सुंदर व गुणवान पुत्र की प्राप्ति हुई। उस दिन से सावन सोमवार व्रत की परंपरा शुरू हुई और लोग शिव कृपा पाने हेतु यह व्रत करने लगे।
सुहागन स्त्री की कथा
एक नगर में एक स्त्री अपने पति की लंबी आयु के लिए सावन के हर सोमवार को व्रत करती थी। वह शिव मंदिर जाकर बेलपत्र, दूध, दही, शहद आदि से शिवजी का अभिषेक करती और शिव पार्वती से अपने सुहाग की रक्षा की प्रार्थना करती।
एक दिन रास्ते में उसे एक नाग दिखाई दिया, जो उसके पति को डंसने वाला था। स्त्री ने शिवजी से विनती की, हे महादेव! मैं आपके व्रत का पालन करती हूं, मेरे पति की रक्षा करें।
तभी शिवजी ने प्रकट होकर नाग को रोका और कहा, इस स्त्री का व्रत सत्य है, इसलिए तुझे पीछे हटना होगा।नाग वहीं से लौट गया और स्त्री के पति की आयु बढ़ गई।
गरीब ब्राह्मण कन्या की कथा
एक गरीब ब्राह्मण की कन्या सावन मास के हर सोमवार को शिवजी का व्रत रखती थी। वह सूखे बेलपत्र, थोड़ा सा जल और मिट्टी के शिवलिंग से पूजन करती। शिवजी उसकी श्रद्धा से प्रसन्न हुए और स्वप्न में आकर बोले, हे कन्या! तेरा व्रत मुझे प्रिय है, तू शीघ्र ही एक महान राजा की रानी बनेगी।
कुछ दिन बाद एक राजा शिकार के दौरान उस गांव में आया और कन्या से विवाह कर लिया। इस प्रकार सावन सोमवार के व्रत ने एक निर्धन कन्या को रानी बना दिया।