
कोरबा । कोरबा-पश्चिम क्षेत्र एसईसीएल दीपका-गेवरा ओपन कोल परियोजना द्वारा कोयला उत्खनन के लिए किसानो की निजी भूमि एवं उस पर निर्मित मकान, श्रीकामदगिरी उद्यान में लगे हरे-भरे फलदार वृक्ष इत्यादि का अतिरिक्त मुआवजा राशि प्रदान किये बिना बगैर सूचना दिए बड़े-बड़े जेसीबी मशीन से मकान को तोड़ देने का आरोप लगा हैं। आरोप लगाते हुए कहा जा रहा हैं की उसमें रखें सभी सामान नष्ट हो गए, आखिर इसका भरपाई कौन करेगा। उन्होंने कहा की पीडि़तों को सामान निकालने के लिए भी समय नहीं दिया गया। उन्होंने आगे कहा की एसईसीएल दीपका क्षेत्र के अधिकारी तथा एसईसीएल दीपका क्षेत्र में मिट्टी निकालने वाली एक निजी कंपनी के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाए। भू-विस्थापित एवं परिवार को निजी भूमि पर बने रिहायशी मकान, श्री कामद गिरी उद्यान का अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। प्रेस क्लब तिलक भवन कोरबा में आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान आरोप लगाते हुए भू-विस्थापित दिनेश जायसवाल सहित अन्य ने कहा कि कोयला उत्खनन के लिए एसईसीएल दीपिका-गेवरा क्षेत्र द्वारा उनके एवं परिवार का ग्राम अमगांव में भूमि अधिग्रहण किया गया है। भू-विस्थापित उदय नारायण जायसवाल एवं उनके चार पुत्र क्रमश: संजय जायसवाल, प्रेम जायसवाल, राजेश जायसवाल व दिनेश जायसवाल द्वारा अर्जित भूमि पर विद्यालय, रिहायशी मकान एवं श्री कामद गिरी उद्यान का निर्माण काफी वर्ष पूर्व कराया गया था। चूंकि अर्जित भूमि पर बने विद्यालय, रिहायशी मकान एवं श्री कामद गिरी उद्यान का मुआवजा निर्धारण एसईसीएल द्वारा 1.09.2015 के पश्चात किया गया है जिसका कोयला मंत्रालय के दिशा-निर्देश अनुसार रफ्क्लरर एक्ट 2013 की अनुसूचि 01 के तहत मुआवजा का पुर्ननिर्धारण किया गया है। भू-विस्थापित परिवार को भूमि पर स्थित मकान, श्री कामद गिरी उद्यान में स्थित हरे-भरे फलदार वृक्ष, कुंआ, बोर राशि का भुगतान किये ।
बिना ही 29.05.2025 को दोपहर लगभग 3.00 बजे एसईसीएल दीपका क्षेत्र प्रबंधन के अधिकारी व एसईसीएल दीपका क्षेत्र खदान में मिट्टी निकालने वाली कंपनी के अधिकारी एवं कर्मचारी सहित 3 जेसीबी लेकर बिना कोई सूचना के भू-विस्थापित एवं उनके परिवार के मकान को तोडना चालू कर दिये।
उन्होंने मांग की हैं की अधिकारियों पर भारतीय न्याय संहिता के तहत एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्यवाही, भू-विस्थापित एवं परिवार को निजी भूमि पर बने रिहायशी मकान, श्री कामद गिरी उद्यान का अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। नहीं तो वे उच्च न्यायालय जाने को मजबूर होंगे।