
कोरिया बैकुंठपुर। छत्तीसगढ़ राज्य अपनी स्थापना के रजत वर्ष का उत्सव मना रहा है। बीते 25 वर्षों की विकास यात्रा में राज्य ने हर क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। कोरिया जिला भी इस यात्रा का सक्रिय सहभागी रहा है। बिजली आज हर घर की मूलभूत आवश्यकता बन चुकी है, और जिले के दूरस्थ अंचलों तक अब रौशनी पहुँच चुकी है।
वर्ष 2000 में कोरिया जिले में विधुतीकृत सिंचाई पंपों की संख्या मात्र 123 थी, जो अब बढक़र 2634 हो गई है।विधुतीकृत गांवों की संख्या 157 से बढक़र 217 तक पहुँच गई है।प्रति व्यक्ति वार्षिक बिजली खपत भी वर्ष 2000 में 82 यूनिट से बढक़र 142 यूनिट हो गई है। ग्रामीण अंचलों में विद्युत आपूर्ति के विस्तार से खेती-किसानी और दैनिक जीवन में बड़ा बदलाव आया है। ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 2000 में 5 हजार 420 थी, जो अब बढक़र 42 हजार 465 तक पहुँच गई है। वहीं शहरी उपभोक्ताओं की संख्या 1300 से बढक़र 6500 हो गई है। एकल बत्ती कनेक्शन धारकों की संख्या में तो 40 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2000 में जहाँ केवल 525 उपभोक्ता थे, अब उनकी संख्या 21 हजार 26 हो चुकी है। ट्रांसफॉर्मरों की संख्या भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। वर्ष 2000 में 325 ट्रांसफॉर्मर थे, जो अब 1 हजार 988 हो गए हैं। जिले में 132/33 के.व्ही. सब स्टेशन वर्ष 2000 में एक भी नहीं था, जबकि अब एक सब स्टेशन स्थापित हो चुका है।
इसी प्रकार 33/11 के.व्ही. उपकेंद्रों की संख्या 2 से बढक़र 10 हो गई है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड, बैकुंठपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2000 में जिले के अनेक गांव अंधेरे में थे, परंतु बीते 25 वर्षों की विकास यात्रा में कोरिया जिले के लगभग सभी हिस्सों में बिजली की रौशनी पहुँचने जा रही है। जिले के सर्वांगीण विकास में बिजली की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। इसने न केवल सुविधाओं में वृद्धि की है, बल्कि लोगों के जीवनस्तर और आर्थिक गतिविधियों में भी नई ऊर्जा का संचार किया है।



























