पटियाला। पंजाब के शंभू व खनौरी बॉर्डर पर किसानों को हटाने के लिए प्रशासन ने बुलडोजर द्वारा कार्रवाई की है। पिछले 13 माह से धरने पर बैठे किसानों जवानों ने कार्रवाई करते हुए दोनों मोर्चों पर बुलडोजर चलवा दिया है। जानकारी के अनुसार, रात लगभग 9.30 बजे दोनों मोर्चों को खाली करवा लिया गया। सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर केंद्रीय मंत्रियों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की चंडीगढ़ में बैठक के बाद पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों ने किसानों के साथ बैठक में उनसे यह कहते हुए नेशनल हाइवे खोलने की अपील की कि इससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है पर किसानों ने पंजाब सरकार की बात मानने से इनकार कर दिया।इसके बाद पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों ने केवल एक ओर का ही रास्ता खोलने की अपील की परंतु किसानों ने वह अपील भी ठुकरा दी। बैठक समाप्त होने के बाद शंभू व खनौरी लौट रहे किसानों को पुलिस ने चंडीगढ़ व मोहाली में रास्ते में ही पकडऩा शुरू कर दिया और उन्हें चेतावनी दी कि वे अविलंब अपने मोर्चे खाली करके अपने घरों को लौट जाएं।पुलिस ने सबसे पहले संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर को जीरकपुर-चंडीगढ़ सीमा पर व पिछले चार महीनों से अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल को चंडीगढ़ के निकट जगतपुरा में एंबुलेंस में हिरासत में ले लिया। जब पुलिस ने डल्लेवाल व पंढेर को हिरासत में लिया तो किसानों में आक्रोश फैल गया। किसानों ने बैरिकेड हटाने की कोशिश की जिससे पुलिस व किसानों में धक्का-मुक्की हुई। भारी पुलिस बल शंभू व खनौरी मोर्चे पर पहुंचा गया और किसानों को वहां से हटने के लिए कहा। पुलिस की कार्रवाई के प्रति सुबह से ही आशंकित बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी स्वयं ही ट्रैक्टर-ट्रालियों में अपना सामान भरकर दोनों मोर्चों से अपने घरों को लौट गए।कुछ महिलाएं व किसान स्वेच्छा से मोर्चे से नहीं हटने पर अड़े रहे, उन्हें हिरासत में ले लिया गया और उसके बाद दोनों मोर्चों पर जेसीबी पहुंच गईं। जेसीबी ने प्रदर्शनकारियों के मंचों को ढहा दिया, वहां लगाई गई ट्यूबलाइटों व पंखों को हटा दिया, खाने-पीने व सोने के लिए बनाए गए अवैध ढांचे गिरा दिए, टीन की चादरें उखाड़ डाली गईं।दोनों बार्डरों पर लगभग साढ़े सात बजे ध्वस्तीकरण आरंभ हुआ तथा रात्रि साढ़े नौ बजे तक दोनों शंभू व खनौरी बॉर्डर खाली करवा लिए गए। पुलिस ट्रेनिंग सेंटर लड्डा कोठी व मोहाली-बनूड़ रोड़ पर सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई थी। पुलिस ने दोनों मोर्चों के आसपास के क्षेत्र की मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद करवा दी थी।उल्लेखनीय है कि किसानों ने 13 फरवरी 2024 को शंभू व खनौरी बॉर्डर पर एक साथ धरना शुरू किया था।
किसानों के धरने के कारण हरियाणा पुलिस की ओर से बैरिकेडिंग करके इस रास्ते को बंद कर दिया गया था जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही थी तथा उद्योग-धंधे प्रभावित हो रहे थे।केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक के बाद वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने किसानों पर किसी प्रकार की सख्ती नहीं करने का आश्वासन दिया।उसके बाद कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री लालचंद कटारूचक्क ने किसान नेता काका सिंह कोटड़ा व मनजीत सिंह धनेर के आशंका जताने पर कि सरकार आज हर हालत में शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों को उठाकर नेशनल हाईवे को खोलना चाहती है।
इसलिए मोहाली-बनूड़ पर लगाई गई पुलिस फोर्स को मोर्चा स्थल पर भेज दिया गया है परंतु दोनों मंत्रियों ने किसान नेताओं से कहा था कि ऐसा नहीं होगा। यह पुलिस बल तो सरकार की नशे के विरुद्ध युद्ध अभियान के लिए लगाया गया है।संयुक्त किसान मोर्चा (राजनीतिक) के साथ बैठक में किसानों के खिलाफ दिखाई गई सख्ती के बाद पंजाब सरकार की ओर से अब संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) पर भी सख्त कार्रवाई की गई है। माना जा रहा है कि दो दिन पहले लुधियाना में व्यापारियों के साथ आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था और उन्होंने कहा था कि लुधियाना पश्चिमी सीट पर होने वाले चुनाव में वोट उस समय तक नहीं मिलेंगे, जब तक बॉर्डर नहीं खुलता क्योंकि व्यापारियों व उद्योगपतियों को बहुत नुकसान हो रहा है।इससे पूर्व भी उद्योगपति व आम लोग बॉर्डर बंद होने के कारण प्रतिदिन की परेशानियों व कारोबार प्रभावित होने का मुद्दा उठाते रहे हैं। शंभू व खनौरी बॉर्डर से किसानों के मोर्चे समाप्त होने से आम लोगों व उद्योगपतियों व कारोबारियों को भी बड़ी राहत मिलेगी।उद्योगपतियों ने किया स्वागत विश्व एमएसएमई फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने कहा कि हम राजमार्गों को अवरुद्ध करने वाले किसानों के अवैध कृत्य को रोकने के लिए सरकार के कदमों का स्वागत करते हैं। धरना देने के खिलाफ सख्त कार्रवाई उचित है तथा सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में समाज के किसी भी वर्ग की ओर से इस तरह की हरकत न की जाए। सडक़ अवरोधों के कारण उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। माल ढुलाई की लागत बहुत अधिक बढ़ गई और दूसरे राज्यों के व्यापारी पंजाब आने से कतराने लगे हैं।