
नईदिल्ली, 0६ जून ।
अमेरिका पहुंचे भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने एक बार फिर से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरा है। इस प्रतिनिधिमंडल के मुखिया और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पाकिस्तान के साथ चीनी मुद्दे पर भी बात की। इस दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर तगड़ा जवाब दिया।वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि अगर कोई राष्ट्रहित में काम करने को पार्टी विरोधी गतिविधि मानता है तो उसे हमसे सवाल करने के बजाय खुद से सवाल करने की जरूरत है। थरूर ने एक साक्षात्कार में कहा, अगर कोई देश की सेवा कर रहा है, तो मुझे नहीं लगता कि उसे इन सब चीजों के बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत है। समाचार एजेंसी के अनुसार, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि अगर पाकिस्तान हमें अकेला छोड़ देता है, तो हम उन्हें अकेला छोडक़र बहुत खुश होंगे। लेकिन अगर उन्होंने इसे फिर से होने दिया, या वे वास्तव में इसे भडक़ाते हैं और इसे निर्देशित करते हैं जैसा कि इस बार हुआ, तो उन्हें जवाबी हमला किया जाएगा। हम बहुत जोरदार तरीके से जवाब देंगे। हम यहां देशों या दुनिया या किसी और चीज को उड़ाने के लिए नहीं हैं। हम यहां सिर्फ यह कहने के लिए हैं कि हमारे धैर्य को हल्के में न लें।वहीं, जब उनसे कांग्रेस द्वारा उनकी आलोचना किए जाने के संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मुझे अभी लगता है कि हमारा ध्यान यहां अपने मिशन पर केंद्रित है और हमें इस बात पर ज्यादा समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं है कि विभिन्न लोगों ने क्या कहा है या क्या नहीं कहा है क्योंकि हमारा ध्यान इस बहुत बड़े और अधिक महत्वपूर्ण संदेश पर है। जब समय आएगा, तो हम इससे निपट लेंगे।थरूर ने कहा कि उन्होंने अपने मित्र सलमान खुर्शीद के उस बयान को देखा है जिसमें उन्होंने कहा था कि इन दिनों देशभक्त होना बेहद कठिन है। भाजपा में जाने की अटकलों के बारे में उन्होंने कहा कि वह निर्वाचित सांसद हैं और उनके कार्यकाल के चार वर्ष बाकी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की काल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सरेंडर कर देने संबंधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयान पर थरूर ने कहा, लोकतंत्र में यह सामान्य है। पार्टियां विरोध करती हैं, आलोचना करती हैं और मांगें करती हैं। हम पार्टी के मिशन पर नहीं हैं, हम यहां एकजुट भारत के प्रतिनिधि हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने के ट्रंप के दावे संबंधी सवाल पर थरूर ने कहा, मेरे लिए इससे निपटना जरूरी नहीं है क्योंकि मैं यहां व्हाइट हाउस के साथ हमारे संबंधों को जटिल बनाने नहीं आया हूं। हम अमेरिकी राष्ट्रपति का काफी सम्मान करते हैं। हमें नहीं पता कि उनके साथियों ने पाकिस्तान से वास्तव में क्या कहा।
उन्होंने आगे कहा, हमें किसी को समझाने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि पहले ही दिन से हमारा संकेत था कि अगर पाकिस्तान ने पलटवार किया तो हम और करारा प्रहार करेंगे। अगर वे रुक जाएंगे तो हम भी रुक जाएंगे। हमने पहले दिन से यही कहा था और आखिरी दिन भी यही कहा। अमेरिकी नेशनल प्रेस क्लब में एक संवाद में थरूर ने कहा कि अमेरिका को कुछ समय से यह समझ में आ गया है कि भारत का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि हमारी कनपटी पर बंदूक रखकर कोई बात नहीं हो सकती। इस तरह हम पाकिस्तान से बात नहीं कर सकते। साथ ही चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान ने अपनी जमीन पर आतंकी तत्वों को नियंत्रित नहीं किया तो भारत ने जो कार्रवाई की है, वह दोबारा की जा सकती है। भारत को पाकिस्तान की भाषा में बात करने में कोई परेशानी नहीं है। जब तक वह आतंकवाद की भाषा बोलेगा, तब तक भारत ताकत की भाषा का इस्तेमाल करेगा। इसमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है। व्यापार की बात करके भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुकवाने के ट्रंप के दावे पर थरूर ने कहा कि यह सार्वजनिक रिकार्ड में है कि विभिन्न देशों के विदेश मंत्री हमारे विदेश मंत्री, हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को काल कर रहे थे एवं अमेरिका इस संबंध में सबसे सक्रिय था और विदेश मंत्री रूबियो ने अपने भारतीय समकक्ष जयशंकर से बात की थी।उन्होंने कहा कि एक समय उपराष्ट्रपति वेंस ने हमारे प्रधानमंत्री को फोन किया था।