नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का मिशन मंगलवार को ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान के कैलिफोर्निया तट पर उतरने के साथ समाप्त होता है, लेकिन उनकी अंतरिक्ष यात्रा की कहानी गगनयान का सफर तय करने तक जारी रहेगी। भारत का नया सितारा बन चुके शुभांशु स्वदेशी मानव अंतरिक्ष यात्रा के लिए पहला अनुभव जुटाकर लाए हैं। भारत के पहले अंतरिक्ष मानव मिशन गगनयान के लिए चयनित 39 वर्षीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इस भारतीय मिशन के सबसे युवा सदस्य हैं। भारतीय वायु सेना के अधिकारी और टेस्ट पायलट ग्रुप कैप्टन शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय और राकेश शर्मा की 1984 की ऐतिहासिक उड़ान के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। 10 अक्टूबर, 1985 को जन्मे शुक्ला का पालन-पोषण लखनऊ में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ, जिसका विमानन या अंतरिक्ष से कोई सीधा संबंध नहीं था। लेकिन बचपन में एक एयर शो में जाने ने उनके मन में एक चिंगारी जगा दी।लखनऊ के सिटी मानटेसरी स्कूल से पढ़े शुक्ला की सितारों की ओर यात्रा किसी स्क्रिप्ट के अनुसार नहीं थी। भाग्यवश, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के लिए आवेदन कर रहे एक सहपाठी ने जब देखा कि उसकी आयु आवेदन के लिए अधिक है तो उसने अपना फार्म शुक्ला को दे दिया। शुभांशु 2006 में भारतीय वायु सेना में कमीशन हुए और 2,000 घंटे से अधिक उड़ान अनुभव के साथ टेस्ट पायलट बन गए। उन्होंने बाद में आईआईटी, बेंगलुरु से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री हासिल की।
पिछले वर्ष उन्हें भारत के गगनयान कार्यक्रम में चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक के रूप में चुना गया। उन्होंने रूस के गगारिन कास्मोनाट ट्रेनिंग सेंटर और इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया। लेकिन गगनयान के 2027 में निर्धारित लांच से पहले शुक्ला को एएक्स-4 क्रु का हिस्सा बनने का अवसर मिला। कई बार स्थगन के बाद एक्सिओम-4 मिशन के पायलट शुक्ला ने 25 जून को कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट पर उड़ान भरी।18 दिनों के इस अंतरिक्ष प्रवास में उन्होंने आईएसएस पर रहते हुए सात प्रयोग किए जो आगे चलकर मिशन गगनयान का हिस्सा होंगे। उन्होंने जीव विज्ञान, कृषि, अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी और संज्ञानात्मक अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों में माइक्रोग्रैविटी प्रयोग किए।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर 18 दिनों के प्रवास के बाद एक्सिओम-4 मिशन के अपने तीन अन्य साथियों को लेकर ड्रैगन यान ‘ग्रेस’ से कैलिफोर्निया तट पर सकुशल उतरने वाले भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का अनुभव भारत के गगनयान मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा, ”शुभांशु शुक्ला द्वारा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताए गए समय के दौरान प्राप्त अनुभव अगले दो वर्षों में नियोजित गगनयान मिशन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। यह उनके (शुभांशु) लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा है। उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन पर कई प्रयोग किए।”उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष और सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का अनुभव करने के बाद उन्होंने कई वैज्ञानिक परीक्षण भी किए। यह मिशन हमारे लिए सीखने का एक बड़ा अवसर रहा है। इसरो ने यह मिशन इसलिए शुरू किया ताकि वह अनुभव प्राप्त कर सके जो गगनयान मिशन में हमारी मदद करेगा।’ उन्होंने आगे कहा कि गगनयान मिशन इस साल के अंत में एक मानवरहित उड़ान के साथ शुरू होगा।उन्होंने कहा, ”हम इस वर्ष एक मानवरहित मिशन लांच करेंगे, जिसके बाद दो और मानवरहित उड़ानें होंगी। इसके बाद, एक भारतीय एस्ट्रोनाट को गगनयान के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। वह दो से सात दिनों तक अंतरिक्ष में रहेंगे और फिर पृथ्वी पर वापस लौटेंगे।