श्रीनगर। श्रीनगर में स्थित प्रसिद्ध डल झील में हाउस बोट लगभग खाली हैं। शिकारे जो चंद दिनों पहले पर्यटकों को झील की सैर कराते समय भारी भीड़ के चलते एक-दूसरे से टकरा जाते थे, आज किनारों पर खड़े मायूस पड़े हैं। धरती के इस स्वर्ग से रौनक गायब हो गई है।

शिकारे खाली पड़े

वहीं पर्यटकों का इंतजार कर रहा शिकारा वाला नवाज अहमद अपने शिकारे से टेक लगाए शून्य में ताक रहा है। उसके मायूस चेहरे को देख पास से गुजर रहे दूसरे शिकारा वाला मुश्ताक दिलासा देता है- ‘नवाज मा बामबर सोरुय गछि ठीक (नवाज मत घबराओ, सब कुछ ठीक हो जाएगा)”। यह सुन नवाज भी कहता है- ‘खोदाह बूजिन (अल्लाह करे)’।

डल में टूरिस्टों की कितनी भीड़ रहती थी, अब पड़ा खाली

नवाज बातचीत में मुश्ताक से कहता है- याद करो अभी चंद दिन पहले डल में टूरिस्टों की कितनी भीड़ रहती थी। मुझे तो दिन में खाने-पीने की फुर्सत नहीं मिलती थी। आज देखो- सब कुछ उलट। रौनक खत्म हो गई। इस पर मुश्ताक कहता है- हां, वह तो है। बहुत गलत हुआ। मासूम लोगों का खून बहा। लेकिन हम जैसे लोग क्या कर सकते हैं? हम तो दुआ ही कर सकते हैं कि हालात ठीक हो जाए।

नवाज कहता है- हां भाई, इस वाकये के बाद कुछ लोग अपनी सियासत चमका रहे हैं। हमारे लिए हमारे यह मेहमान हमारे रोजगार का जरिया थे। हम गरीब लोगों का चूल्हा तो उन्हीं की आमद से जलता था। अब देखो ना, मुझे यह लग रहा था कि इस बार बंपर पर्यटन सीजन रहेगा और मेरा मैं अपना बैंक लोन चुका दूंगा। लेकिन, अब यह आसार नजर नहीं आ रहे। घाटी में पर्यटक उद्योग से जुड़े अधिकांश लोग मौजूदा समय में मुश्ताक व नवाज की तरह एक-दूसरे को दिलासा दे रहे हैं।

एडवांस बुकिंग ताबड़तोड़ रद हो रही हैं

चंद दिन पहले गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग, ट्यूलिप गार्डन व डल झील में पर्यटकों का सैलाब उमड़ा रहता था। लेकिन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले ने सब बदल कर रख दिया। भयभीत पर्यटकों के लौटने का सिलसिला शुरू हो गया। एडवांस बुकिंग ताबड़तोड़ रद हो रही है। बता दें कि कश्मीर के होटलों और हाउसबोट में पर्यटकों की बुकिंग 80 प्रतिशत तक रद हो गई है।