एसआईआर: अवधि बढ़ी, बीएलओ को लेने होंगे मृत्यु प्रमाण पत्र

पंचनामा कराना भी हुआ अनिवार्य
कोरबा। स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन यानी गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम की समाधि एक बार फिर से बढ़ा दी गई है। 18 दिसंबर तक इसके अंतर्गत कई नई जिम्मेदारियां पूछ लेवल ऑफिसर को पूरी करनी होगी। खास तौर पर मृत्यु हो चुके मतदाताओं और दूसरी जगह शिफ्टेड होने के मामले में संबंधित प्रमाण पत्र और पंचनामा की अनिवार्यता की गई है। ऐसी स्थिति में बूथ लेवल अधिकारियों को एक बार फिर से आसपास के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
भारत सरकार के निर्वाचन आयोग के द्वारा छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन कार्यक्रम की शुरुआत पिछले महीने की गई। अंतिम रूप से इसे 12 फरवरी तक पूरा करना था। अगली कड़ी में डाटा अपडेशन के साथ मतदाता सूची का प्रकाशन करने के प्रावधान थे। आवश्यक कारणों से निर्वाचन आयोग ने एक बार फिर से इंसेंटिव रिवीजन की समय अवधि को 18 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। लेकिन इस बड़ी हुई अवधि में पुराने काम के बजाय उन कार्यों को करना है जिनमे संबंधित पोलिंग बूथ के अंतर्गत मतदाताओं की मृत्यु हो गई है या फिर वे मौजूदा स्थान से हटकर कहीं और शिफ्ट हो चुके हैं।
जानकारी के अनुसार पिछले निर्देशों में कहा गया था कि अगर ऐसे मामले आते हैं तो संबंधित परिजनों या आसपास के लोगों से पूछताछ कर गणना प्रपत्र में स्थित वर्णित की जाए और उसे अपडेट किया जाए। इसी निर्देश के अंतर्गत कोरबा जिले में बूथ लेवल अधिकारियों ने संबंधित मामलों में इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। प्रक्रिया को एक सप्ताह के लिए और बढ़ाने के साथ अधिकारियों को एक नया काम दिया गया है। इसके अनुसार कहा गया है कि जो कार्य पिछले दिनों किया गया है वही काफी नहीं है। तकनीकी वजह से ऐसे मामलों को प्रमाणित भी करना है। इसलिए जिन प्रकरणों में संबंधित बूथ के अंतर्गत किसी मतदाता की मृत्यु हो चुकी है तो हर हाल में उसकी मृत्यु प्रमाण पत्र लिया जाए। परिवार और आसपास के लोगों से इसका पंचनामा कराया जाए। इसी प्रकार से जो मतदाता किसी दूसरे स्थान पर जा चुके हैं इस बारे में पुष्टि करने के लिए भी पंचनामा की प्रक्रिया को पूरा करना जरूरी है। फॉर्मेट के आधार पर बूथ लेवल अधिकारियों को गणना प्रपत्र में संबंधित प्रविष्टि करना है और फिर इसे अपडेट करना है। यह होने पर ही विभिन्न मामलों में स्थिति को प्रामाणिक माना जाएगा। आयोग की ओर से दी गई नई व्यवस्था के अंतर्गत एक बार फिर से विभिन्न प्रकरणों में जानकारी एकत्रित करने के लिए बूथ लेवल अधिकारियों को अब अपने आसपास चक्कर लगाने के साथ जानकारी लेनी पड़ रही है। उनका कहना है कि अगर स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन की प्रक्रिया के शुरू होने से पहले जो निर्देश दिया गए थे, उसी में इस चीज को स्पष्ट कर दिया गया होता तो समय भी बचत और अनावश्यक परिश्रम भी नहीं करना पड़ता।
शायद यह भी कारण
याद रहे कुछ स्थानों पर शुद्धिकृत की गई मतदाता सूची से विलोपित किए गए नाम के मामले में कई प्रकार के दावे किए जा रहे हैं। ऐसा कहा गया कि लोक अजीवित है और उनके नाम अन्य कारण से काट दिए गए। जिन लोगों ने केवल केंद्र बदला है और दूसरे राज्य स्थान की तरफ उनकी शिफ्टिंग नहीं हुई है, उनके मामले में भी नाम को काट दिया गया है। इसलिए हर तरह के विवाद से बचने के लिए निर्वाचन आयोग ने अब पूरे काम को प्रमाणिक बनाने के लिए यह सब करना जरूरी समझा है।

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