नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जटिल आर्थिक और कानूनी मुद्दों पर निर्णय देने के लिए विशेष अदालतों को गठित करने का समय आ गया है। शीर्ष कोर्ट ने वित्त और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक जांच की आवश्यकता पर भी जोर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ छत्तीसगढ़ के कोयला लेवी घोटाले में आरोपित सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, समय आ गया है कि विशेष अदालतें बनाई जाएं जो जटिल आर्थिक और कानूनी मुद्दों पर फैसला सुना सकें। जजों को जटिल वित्तीय अपराधों से निपटने और मुकदमे को शीघ्रता से निपटाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए, लेकिन निर्दोष को शीघ्र रिहा किया जाना चाहिए। पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेटमलानी से कहा कि जजों को न्याय देने के लिए सक्षम अभियोजकों और जांचकर्ताओं की आवश्यकता होती है। पीठ ने पूछा, क्या आपके राज्य में वित्तीय अपराधों के लिए विशेष जांच शाखा है?

वित्तीय अपराधों का निपटारा करने की प्रक्रिया में हो बदलाव

आम तौर पर, वित्तीय अपराधों का निपटारा वर्तमान में स्वीकारोक्ति के आधार पर किया जाता है। स्वीकारोक्ति के लिए आपको आरोपित को जेल में डालना पड़ता है और जानकारी जुटाने और मामले को साबित करने की कोशिश करनी पड़ती है।