
कोरिया बैकुंठपुर। हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की उपासना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्तगण विविध पूजन, व्रत और अनुष्ठान करते हैं, जिनमें रुद्राभिषेक पूजा का विशेष स्थान है। यह पूजा न केवल आध्यात्मिक शांति देती है बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति का भी मार्ग प्रशस्त करती है।
रुद्राभिषेक एक विशेष वैदिक पूजा पद्धति है जिसमें भगवान शिव के रुद्र रूप का अभिषेक विविध पवित्र द्रव्यों जैसे जल, दूध, शहद, दही, घृत, गंगाजल, बेलपत्र, भस्म, कुश आदि से किया जाता है। यह अभिषेक वैदिक मंत्रों और विशेषत: रुद्र सूक्त के पाठ के साथ किया जाता है। सावन माह में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है क्योंकि यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि सावन में की गई शिव उपासना शीघ्र फलदायी होती है।
रुद्राभिषेक से न केवल पापों का क्षय होता है, बल्कि मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस माह में भगवान शिव धरती पर विशेष रूप से सक्रिय रहते हैं और भक्तों की प्रार्थनाओं को शीघ्र स्वीकार करते हैं। रुद्राभिषेक से जीवन में शांति, धन, संतान सुख, रोग से मुक्ति तथा मानसिक शुद्धता प्राप्त होती है। रुद्राभिषेक पूजा में प्रयुक्त द्रव्य जैसे दूध, जल और शुद्ध घी आदि सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। रुद्र सूक्त का उच्चारण वातावरण को शुद्ध करता है और मानसिक तनाव को कम करता है। बेलपत्र और तुलसी जैसे तत्वों से स्वास्थ्यवर्धक गुणों का भी लाभ मिलता है।