
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की सह-मालिकाना हक वाली कंपनी से जुड़े 300 करोड़ रुपये के विवादास्पद भूमि सौदे की जांच रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है। संयुक्त निरीक्षक महारजिस्ट्रार की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में सब-रजिस्ट्रार रविंद्र तारू सहित तीन लोगों को दोषी ठहराया है, लेकिन पार्थ पवार का नाम कहीं नहीं लिया गया। समिति ने कहा है कि सारे दस्तावेजों में पार्थ पवार का कहीं नाम नहीं है। रिपोर्ट को ढ्ढत्रक्र रवींद्र बिनवाडे को सौंपी गई, जिसे आगे पुणे के विभागीय आयुक्त चंद्रकांत पुलकुंडवार को भेजा गया। समिति के प्रमुख राजेंद्र मुठे ने साफ कहा कि पार्थ पवार का नाम किसी भी बिक्री दस्तावेज में नहीं होने की वजह से उन्हें जांच में दोषी नहीं ठहराया जा सकता। दोषी ठहराए गए तीन लोग वही हैं, जिनके नाम पुलिस की एफआईआर में भी हैं, निलंबित सब-रजिस्ट्रार रविंद्र तारू, पार्थ पवार के चचेरे भाई और बिजनेस पार्टनर दिग्विजय पाटिल और विक्रेताओं की ओर से पावर ऑफ अटॉर्नी रखने वाली शीतल तेजवानी हैं। इस सौदे में पुणे के पॉश मुंधवा इलाके की 40 एकड़ सरकारी जमीन को निजी बताकर अमादिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को बेच दिया गया था। पार्थ पवार इस कंपनी के पार्टनर हैं। सबसे बड़ा घपला यह था कि इस सौदे पर 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी माफ कर दी गई थी, जबकि जमीन सरकारी थी और बेची ही नहीं जा सकती।





















