
जांजगीर। अपराध, नशाखोरी और अशिक्षा की जड़ें समाज में गहराई तक फैली हुई हैं। इन समस्याओं का समाधान केवल सख्ती से नहीं, बल्कि संवाद और संवेदना से संभव है। इसी सोच को साकार रूप देते हुए पुलिस ने ऑपरेशन उपहार नाम से एक सामाजिक पहल की है। इस अभियान के तहत पुलिस ने वार्ड नंबर एक से ड्रॉपआउट बच्चों का सर्वेक्षण शुरू करने का निर्णय लिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन-कौन से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं और इसके पीछे क्या कारण हैं।
अभियान का उद्देश्य केवल बच्चों को स्कूल वापस भेजना नहीं है, बल्कि उन्हें उनकी रुचि और परिस्थितियों के अनुसार शिक्षा या कौशल से जोडक़र उनका भविष्य सुरक्षित करना भी है। इस अभियान की शुरुआत धनतेरस और छोटी दीपावली के शुभ अवसर पर की गई। एसपी विजय कुमार पाण्डेय ने शारदा चौक (जांजगीर) स्थित बालगृह, वार्ड क्रमांक 2 (जूनापारा), भाठापारा और खोखरा वृद्धाश्रम पहुंचकर बच्चों और बुजुर्गों के साथ समय बिताया। बच्चों को मिठाई, पटाखे और गिटार जैसे उपहार दिए गए। एक बच्चे की संगीत (म्यूजिक) में रुचि को देखकर स्वयं पुलिस अधीक्षक ने उसे गिटार भेंट किया, जिससे उसका चेहरा खुशी से खिल उठा। त्योहार की खुशियों के साथ जब पुलिस स्वयं बच्चों के बीच पहुंची, तो उनके मन में डर नहीं, बल्कि अपनापन और उत्साह देखने को मिला। इस अवसर पर एसपी विजय कुमार पाण्डेय ने कहा, पुलिस केवल कानून लागू करने वाली संस्था नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग के साथ संवेदना और मानवता से जुड़ी हुई शक्ति है। त्योहारों के इस समय में हम खुशियां बांटना चाहते हैं, डर नहीं।
तीन-स्तरीय शिक्षा देने का होगा प्रयास 0 पुन: प्रवेश: जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं लेकिन दोबारा जाना चाहते हैं, उन्हें स्कूल में फिर से दाखिला दिलवाया जाएगा। उनके लिए पुस्तकें, ड्रेस और आर्थिक सहायता की व्यवस्था की जाएगी। 0 वैकल्पिक केंद्र: जो बच्चे डर, सामाजिक दबाव या किसी अन्य वजह से स्कूल नहीं जाना चाहते, उनके लिए एक वैकल्पिक केंद्र, अक्षर आरक्षित स्कूल खोला जाएगा, जहां वे बिना दबाव के पढ़ाई कर सकें। 0 कौशल विकास: जो बच्चे पढ़ाई में रुचि नहीं रखते, उन्हें कौशल विकास के ज़रिए आत्मनिर्भर बनाने की योजना है। जैसे सिलाई, संगीत, कला, कढ़ाई, या अन्य हुनर जिसमें उनकी रुचि हो। दर्रीपारा की महिला बनी समाज सेवा की मिसाल अभियान के दौरान एक प्रेरक घटना सामने आई, जब पुलिस को जानकारी मिली कि दर्रीपारा की एक महिला अपने छोटे से घर में 56 ड्रॉपआउट बच्चों को पढ़ा रही हैं। वह बिना किसी सरकारी सहायता के अपने निजी प्रयासों से बच्चों को शिक्षा दे रही हैं। पुलिस अब उनके लिए कम्युनिटी हॉल उपलब्ध कराने की योजना बना रही है ताकि वे अधिक बच्चों को सुरक्षित वातावरण में पढ़ा सकें। इस अभियान को गति देने के लिए पुलिस ने विभिन्न स्थानीय समाजसेवी संस्थाओं को भी जोड़ा है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संघ, वात्सल्य मिशन और अन्य सक्रिय संस्थाएं शामिल हैं। अब तक ये संस्थाएं बिना किसी सरकारी मदद के कार्य कर रही थीं, लेकिन अब उन्हें पुलिस प्रशासन का समर्थन मिलेगा। यह सहयोग उन्हें अधिक प्रभावी ढंग से समाज के कमज़ोर वर्गों तक पहुंचने में मदद करेगा।