संयुक्त राष्ट्र, 0५ जून ।
पाकिस्तान के नेता लगातार अपने बयानों में ही फंसते जा रहे हैं। अब पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने स्वीकार किया है कि उनके देश को अपने कश्मीर अभियान में संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर कोई सफलता नहीं मिली है। बिलावल अमेरिका में पाकिस्तानी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं जिसे भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों की तर्ज पर भेजा गया है पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, जहां तक कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र और अन्य स्थानों की बात है, हमारे सामने आने वाली बाधाएं अभी मौजूद हैं।उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों एवं राजनयिकों के साथ बैठकों में आतंकवाद एवं पानी जैसे मुद्दों पर तो स्वीकार्यता मिली है, लेकिन कश्मीर मुद्दे पर नहीं। एक फलस्तीनी पत्रकार द्वारा कश्मीर और गाजा को एक समान बताने के प्रयास को बिलावल ने खारिज कर दिया।उन्होंने कहा, मैं शुरुआत से इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि मैं फलस्तीनियों की दुर्दशा, पाकिस्तान की दुर्दशा और कश्मीर की दुर्दशा के बीच कोई सार्थक तुलना नहीं कर सकता। बिलावल ने कहा, हम गाजा में जो देख रहे हैं, फलस्तीन में जो देख रहे हैं, वह रूप में क्रूर, अमानवीय एवं निंदनीय है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भारत इजरायल से प्रेरणा ले रहा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह उनके आसपास भी नहीं हैं।
बिलावल ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के बीच सहयोग से दक्षिण एशिया में आतंकवाद में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि अगर आईएसआई एवं रा इन ताकतों के विरुद्ध लड़ाई में मिलकर काम करने के लिए तैयार हों तो भारत और पाकिस्तान दोनों जगह आतंकवाद में उल्लेखनीय कमी आएगी। पूर्व विदेश मंत्री ने वैश्विक समुदाय से दक्षिण एशिया में सक्रिय रहने के आग्रह किया और चेतावनी दी कि हालिया संघर्ष विराम के बाद परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसियों के बीच संघर्ष का खतरा कम नहीं हुआ है, बल्कि बढ़ गया है।उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप से हम संघर्ष विराम कराने में सफल रहे। मैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रूबियो के नेतृत्व में उनकी टीम की भूमिका का खास तौर पर उल्लेख करना चाहूंगा। यह पहला स्वागत योग्य कदम है, लेकिन यह सिर्फ पहला कदम है। बिलावल ने कहा कि कूटनीति एवं वार्ता ही शांति का व्यवहारिक मार्ग है और दोहराया कि पाकिस्तान भारत के साथ आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग सहित व्यापक वार्ता करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा, हम 1.5 अरब-1.7 अरब लोगों का भविष्य आतंकियों एवं उनके आकाओं के हाथों में नहीं छोड़ सकते। ताकि वे अपनी मर्जी से तय कर सकें कि दो परमाणु शक्ति संपन्न शक्तियां कब युद्ध में उतरेंगी।
भारत का जिक्र करते हुए पीपीपी के नेता ने कहा, क्षेत्र में किसी भी आतंकी हमले को पाकिस्तान के साथ युद्ध के खतरे से जोडऩा अस्वीकार्य है। दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच ऐसा नहीं हो सकता कि कोई विवाद समाधान तंत्र न हो। उन्होंने एक पारस्परिक रूप से सहमत मंच की स्थापना का प्रस्ताव रखा, जहां दोनों पक्ष शिकायतें दर्ज कर सकें, आतंकी घटनाओं की संयुक्त जांच कर सकें और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर सकें।सिंधु जल संधि निलंबित करने के भारत के कदम पर पाकिस्तानी रुख दोहराते हुए बिलावल ने कहा कि यह पानी को हथियार बनाने का प्रयास है।उन्होंने कहा, 20 करोड़ लोगों के लिए पानी की आपूर्ति काटने की सिर्फ धमकी ही संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है। इस धमकी पर कार्रवाई को पाकिस्तान युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखेगा।