राज्योत्सव में आयुर्वेद का आकर्षण: कोरिया जिले में वन विभाग का स्टाल बना केंद्र बिंदु

कोरिया बैकुंठपुर । प्रदेश में मनाए जा रहे राज्योत्सव के अवसर पर इस वर्ष का आयोजन विशेष रूप से पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को समर्पित नजर आया। जिले के वन विभाग के द्वारा आयोजित राज्योत्सव में आयुर्वेद को प्राथमिकता देते हुए एक विशेष आयुर्वेदिक स्टाल लगाया गया, जिसने आगंतुकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया।कार्यक्रम के दौरान आम जनता में आयुर्वेद के प्रति उत्साह और जिज्ञासा देखते ही बन रही थी। लोग बड़ी संख्या में इस स्टाल पर पहुँचकर आयुर्वेदिक औषधियों, पौधों और प्राकृतिक उपचार विधियों के बारे में जानकारी लेते नजर आए। वहीं कई लोगों ने अपने स्वास्थ्य के अनुसार आयुर्वेदिक दवाएं भी खरीदीं। स्टाल पर मौजूद विशेषज्ञों ने उपस्थित लोगों को घरेलू जड़ी-बूटियों के उपयोग, रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा और संतुलित जीवनशैली के महत्व पर विस्तार से जानकारी दी।वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी इस अवसर पर सक्रिय भागीदारी निभाई। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आयुर्वेद सिर्फ चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक प्राकृतिक शैली है, जिसे आज के समय में फिर से अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जंगलों में पाई जाने वाली कई औषधीय वनस्पतियाँ मानव स्वास्थ्य के लिए अमूल्य हैं, जिन्हें पहचानकर और सुरक्षित रखकर आने वाली पीढिय़ों के लिए लाभकारी बनाया जा सकता है।कार्यक्रम में विभागीय कर्मचारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए आयुर्वेद के सिद्धांतों और औषधीय पौधों के महत्व को आम लोगों के बीच साझा किया। लोगों ने बताया कि आधुनिक जीवनशैली में बढ़ते रोगों और दुष्प्रभावों से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपचार एक सुरक्षित और दीर्घकालिक विकल्प बनता जा रहा है।राज्योत्सव के इस आयोजन में आयुर्वेदिक स्टाल पर दिनभर भीड़ बनी रही। स्थानीय नागरिकों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल परंपरागत ज्ञान को बढ़ावा मिलता है, बल्कि लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग भी होते हैं।कार्यक्रम के अंत में वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि भविष्य में भी इस प्रकार के जनजागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से आयुर्वेद को ग्राम स्तर तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि ‘स्वस्थ छत्तीसगढ़’ का सपना साकार हो सके। राज्योत्सव में आयुर्वेद का यह जीवंत प्रदर्शन प्रदेश की परंपरा, प्रकृति और स्वास्थ्य के समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण बनकर सामने आया।

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