नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से नकदी बरामद होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने आरोप सही पाए हैं। माना जा रहा है कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने भी रिपोर्ट में सामने आए गंभीर आरोपों के चलते जस्टिस वर्मा से पद छोड़ने को कहा है।

समिति की रिपोर्ट को जस्टिस वर्मा के पास भेज दिया है

सूत्रों ने बताया कि या तो जस्टिस वर्मा को पद छोड़ना होगा या फिर महाभियोग का सामना करना पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के तहत चीफ जस्टिस ने समिति की रिपोर्ट को जस्टिस वर्मा के पास भेज दिया है और उनका जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस को रिपोर्ट सौंपने वाली तीन सदस्यीय समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे। यह रिपोर्ट तीन मई को फाइनल कर चार मई को चीफ जस्टिस को सौंपी गई। समिति ने अपनी जांच के दौरान सुबूतों का विश्लेषण किया और 50 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए। इनमें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख शामिल थे, जिन्होंने 14 मार्च की रात करीब 11.35 बजे लुटियंस दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर आग लगने पर सबसे पहले प्रतिक्रिया दी थी। जस्टिस वर्मा उस वक्त दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे। सूत्रों का कहना है कि समिति को मिले स्पष्ट सुबूत, आग लगने के दौरान जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास के स्टोर रूम से भारी मात्रा में नकदी बरामद किए जाने संबंधी गंभीर आरोपों को सही साबित करते हैं। जबकि दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दिए अपने जवाब में जस्टिस वर्मा ने बार-बार इन आरोपों से इन्कार किया था।