
कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक पुराना बस स्टैंड शाखा कोरबा से एक लाख रुपए का ऋण लेकर उसे समय पर न लौटाने तथा दिए गए चेक के बाउंस होने के आरोपी को न्यायालय को डेढ़ लाख रुपए का प्रतिकर राशि के दंड एवं व्यतीक्रम में एक माह की सजा सुनाई गई। वह न्यायालय को 8 वर्षों से निरंतर चकमा दे रहा था तथा गुमराह कर रहा था। आखिरकार न्यायाधीश कुमुदनी गर्ग की अदालत ने फैसला दिया और उपरोक्त सजा सुनाई। जानकारी के अनुसार सिंधी धर्मशाला के पास रानी रोड कोरबा निवासी विनोद कुमार जगमलानी पिता मोहनलाल नामक युवक द्वारा मोमबत्ती निर्माण हेतु छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की पुराना बस स्टैंड शाखा से एक लाख रुपए का ऋण 16.2.2012 को लिया गया था जिसे अदा करने के लिए उसके द्वारा बैंक को एक लाख 7 हजार 840 रुपए का चेक प्रदान किया गया। बैंक द्वारा उक्त चेक को आहरण हेतु जब शाखा में जमा किया गया तो उसमें पर्याप्त राशि न होना दिखाया गया। जिसकी विधिक सूचना बैंक के द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी युवक को दिया गया। इसके पश्चात् भी वह रकम चुकाने में असफल रहा, तब परिवादी बैंक द्वारा उसके विरूद्ध न्यायालय में 3.10.2017 को परिवाद पत्र दायर किया गया। प्रकरण प्रस्तुति के पश्चात् से आरोपी निरंतर न्यायालय को चकमा देता रहा तथा गुमराह करता रहा। कभी कहता कि बैंक से समझौते की बात चल रही है, कभी कहता मैं वकील बदलूंगा, कभी कहता मेरा वकील बिलासपुर से आ रहा है, कभी कहता कि विधिक सेवा से वकील चाहिए। आखिरकार जब प्रकरण अंतिम तर्क के लिए नियत हुआ तो वह अनुपस्थित हो गया। न्यायालय में अभियुक्त के विरूद्ध स्थाई वारंट जारी कर उसे जेल भेजा तथा अपने निर्णय में आरोपी को दोषी पाते हुए रुपए डेढ़ लाख प्रतिकर के रूप में बैंक को अदा करने की सजा सुनाई। वहीं व्यतीक्रम में एक माह की सजा भी दी गई। परिवादी बैंक की ओर से प्रकरण की पैरवी अधिवक्ता धनेश सिंह ने की।