
कोरबा : जिले में राखड़ (फ्लाई ऐश) का अवैध और अव्यवस्थित परिवहन आम जनजीवन के लिए गंभीर संकट बनता जा रहा है। नियमों को ताक पर रखकर हो रहे इस परिवहन से न केवल सड़कों पर गंदगी फैल रही है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।
▪️नियमों की अनदेखी और प्रशासन की उदासीनता
शासन द्वारा तय किए गए मानकों के अनुसार, राखड़ को ढककर ले जाना अनिवार्य है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। ट्रक मालिक और चालक राखड़ को बिना किसी ढक्कन या कवर के तेज रफ्तार से गांव और शहर की सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। इससे राखड़ हवा में उड़ती है और सड़कों के किनारे बसे घरों, दुकानों और स्कूलों तक में पहुंच जाती है।
▪️स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं
राखड़ की धूल से लोग सांस की बीमारियों, त्वचा रोग और आंखों की जलन जैसे समस्याओं से जूझने को मजबूर हो गए हैं। ग्रामीण इलाकों में यह स्थिति और भी विकराल है, जहां छोटे रास्तों और कच्ची सड़कों पर ट्रकों की अव्यवस्थित आवाजाही से धूल का गुबार बनता है।
▪️प्रशासन को कार्रवाई करनी होगी
स्थानीय प्रशासन की उदासीनता इस समस्या को और बढ़ा रही है। तमाम शिकायतों और मीडिया रिपोर्ट्स के बावजूद अब तक न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई है और न ही व्यवस्था में कोई सुधार देखने को मिला है। अब वक्त आ गया है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान दे और प्रभावी कार्रवाई कर आम नागरिकों को राहत दिलाए।
▪️पर्यावरण विभाग के दावे खोखले
पर्यावरण विभाग के अधिकारी निगरानी के दावे तो कर रहे है, लेकिन रिस्दी-उरगा बायपास मार्ग पर विभाग के दावों के विभाग की पोल हर पल खुल रही है।बता दे कि रविवार को रिस्दी के आगे उरगा जाने वाली मार्ग पर देखने को मिली। जहां जगह-जगह राखड़ लोड वाहनों को सडक़ किनारे खड़ा कर दिया गया है जो वाहन गुजर रही है उसमें से राखड़ उडक़र वातावरण में फैल रहा था, तो व्यापक पैमाने पर राखड़ सडक़ पर ही गिरता जा रहा है। जिसे मार्ग पर चलने वाले वाहन चालकों को आगे कुछ नजर नहीं आ रहा था। राखड़ परिवहन में लगे वाहनों के सडक़ किनारे खड़े होने से आवागमन में मुश्किल होने के साथ जाम की स्थिति भी निर्मित हो रही है।
▪️विधानसभा चुनाव में राखड़ था बड़ा मुद्दा
विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने राखड़ को बड़ा मुद्दा बनाया था। केन्द्र के साथ राज्य में डबल इंजन की सरकार बन चुकी है, लेकिन कोरबा की जनता को राखड़ की समस्या छुटकारा अब तक नहीं मिला है। क्षेत्र की जनता अपने को ठगा हुआ महसूस कर रही हैं। भाजपा और कांग्रेस को इस मामले में एक दूसरे का चट्टा बट्टा बता रही हैं।
क्या है समाधान?
राखड़ जैसे हानिकारक पदार्थ का सुरक्षित और नियंत्रित परिवहन ही इसका एकमात्र समाधान है। प्रशासन को चाहिए कि वह ट्रक मालिकों और ठेकेदारों पर कड़ी निगरानी रखे और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे ।