कोलकाता। बंगाल में पिछले 23 वर्षों में मतदाता सूची का पूरा गणित ही बदल गया है। राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू होने से पहले मैचिंग- मैपिंग में जो तथ्य सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। राज्य के सात जिलों की 2002 व 2025 की मतदाता सूची में भारी अंतर पाया गया है। 2025 की सूची में ऐसे 40-45 प्रतिशत मतदाताओं के नाम शामिल हैं, जिनका 2002 की सूची में नामोनिशान नहीं हैं। विश्लेषकों का कहना है कि मतदाता सूची में साल-दर-साल नए मतदाताओं के नाम जुडऩे पर भी यह आंकड़ा कहीं अधिक है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के सूत्रों के अनुसार बाकी जिलों में भी इसी तरह के भारी अंतर वाले आंकड़े सामने आने की संभावना हैं। बंगाल में पिछली बार एसआईआर 2002 में हुआ था। झाडग़्राम में सिर्फ 51.36 प्रतिशत लोगों के नाम 2002 व 2025, दोनों समय की मतदाता सूची में मिले हैं। बाकी के नाम सिर्फ 2025 की सूची में हैं। कङ्क्षलपोंग में 65.27 प्रतिशत, अलीपुरद्वार में 53.73 प्रतिशत, कोलकाता (नार्थ) में 55.35 प्रतिशत, मालदा में 54.49 प्रतिशत, पुरुलिया में 61.29 प्रतिशत व मेदिनीपुर में 62.94 प्रतिशत मतदाताओं के नाम दोनों सूची में हैं। सीईओ कार्यालय ने एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होने से पहले मतदाता सूची से 100 से ज्यादा बांग्लादेशी नागरिकों के नाम हटाए हैं। विदेशी आंचलिक पंजीकरण कार्यालय ने बंगाल के 10 जिलों में 112 लोगों को बांग्लादेशी नागरिक के तौर पर चिन्हित किया था, उसी आधार पर यह कार्रवाई हुई है। आने वाले दिनों में और भी बांग्लादेशियों के नाम हटाए जाएंगे। चुनाव आयोग ने बंगाल के 78 विधानसभा क्षेत्रों में निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) को तत्काल बदलने का निर्देश दिया हैं। इनकी नियुक्ति निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करके की गई है।
आयोग ने बंगाल सरकार को पत्र लिखकर ऐसे अधिकारियों के नाम प्रस्तावित करने को कहा गया है, जो निर्धारित मानकों के अनुरूप हों। आयोग के अनुसार केवल पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस (कार्यकारी) कैडर के उप-मंडलाधिकारी, अनुमंडलीय अधिकारी व ग्रामीण विकास अधिकारी स्तर के अधिकारी ही ईआरओ के तौर पर नियुक्त किए जा सकते हैं।