
कोरबा। एक ओर सरकार गुड गवर्नेंस यानी सुशासन की बात कर रही है, तो दूसरी ओर जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट तस्वीर पेश कर रही है। कोरबा जिले में रेत चोरी का नेटवर्क न सिर्फ मजबूत होता जा रहा है, बल्कि इसमें कई रसूखदार लोगों की संलिप्तता की खबरें भी सामने आ रही हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि रेत चोरी के लिए बिना नंबर प्लेट की गाडिय़ों का खुलेआम इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन ट्रांसपोर्ट विभाग और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।
कुसमुंडा थाना क्षेत्र के सर्वमंगला बरमपुर इलाके में स्थित हसदेव और अहिरन नदियों से अवैध रेत खनन कोई नई बात नहीं है। यह सिलसिला वर्षों से जारी है। जानकार बताते हैं कि कांग्रेस सरकार के समय भी रेत चोरी जोरों पर थी, और अब जब सत्ता बदली है, हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया है। यानी प्रशासनिक कार्रवाई महज कागजों तक सीमित है। इस क्षेत्र में पहले कोयला चोरी की घटनाएं होती थीं, लेकिन अब वह सीमा भी पार कर ली गई है। पहले जहां गिनती के एक-दो लोग इस धंधे में लगे थे, अब यह संख्या बढक़र तीन गुना हो चुकी है। बताया जा रहा है कि रेत चोरी अब व्यवस्थित नेटवर्क के जरिये की जा रही है, जिसमें मशीनें, ट्रैक्टर और ट्रॉली सहित अन्य संसाधनों का व्यवस्थित उपयोग हो रहा है। दीपिका और कटघोरा क्षेत्र में रेत चोरी की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। धवाईपुर क्षेत्र को तो रेत चोरों ने अपना स्थायी अड्डा बना लिया है। हाल ही में जेंजरा पंचायत के सरपंच द्वारा पकड़े गए पांच ट्रैक्टर इस बात का सबूत हैं कि यह अवैध कारोबार किस कदर बेलगाम हो चुका है। प्रगति नगर से भी लगातार रेत चोरी की खबरें आ रही हैं। यहां पर चोरी इतने संगठित तरीके से हो रही है कि स्थानीय लोगों को भी अब प्रशासन की निष्क्रियता पर संदेह होने लगा है।
भैंसामुड़ा और तरदा बने बड़ अड्डे
भैंसामुड़ा और तरदा इलाके में हसदेव और सोन नदियों से बड़े पैमाने पर रेत चोरी हो रही है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो इस अवैध कारोबार में अब केवल आपराधिक तत्व ही नहीं, बल्कि कुछ राजनीतिक प्रतिनिधि और अन्य प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं। कारण है कि इस कारोबार से होने वाली मोटी कमाई। यह एक खुला राज बन चुका है कि यदि किसी क्षेत्र में रेत चोरी हो रही है, तो वहां बिना राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण के यह संभव नहीं है।