पटना, १९ अक्टूबर ।
पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है।घटक दलों के बीच तनाव इस कदर है कि टूट की आशंका जाहिर की जा रही है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी गठबंधन से अलग हो चुकी है और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने छह सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा की है।अगर झामुमो अपने दावे पर कायम रहा तो 20 से अधिक सीटों पर एनडीए के बदले महागठबंधन के घटक दलों के बीच ही हो जाएगी। इधर कांग्रेस का आंतरिक असंतोष भी बाहर हो रहा है। पार्टी के दो पूर्व विधायकों-गजानन शाही और बंटी चौधरी ने कांग्रेस के बिहार प्रभारी के अल्लाबारू पर आलाकमान को अंधेरे में रख कर पैरवी वालों को उम्मीदवार बनाने का आरोप लगाया है। महागठबंधन में विवाद की शुरुआत बेगूसराय के बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार की घोषणा के बाद हुई। 2024 के चुनाव में भाकपा यहां दूसरे स्थान पर थी। कांग्रेस ने उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे गरीब दास को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। भाकपा की त्वरित प्रतिक्रिया हुई। उसने कांग्रेस की सिटिंग सीट राजापाकर पर अपना उम्मीदवार उतार दिया। रोसड़ा में कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी।
भाकपा ने रोसड़ा के साथ बिहारशरीफ में भी उम्मीदवार की घोषणा कर दी।इसके बाद राजद ने भी कांग्रेस के दावे वाली सीटों पर उम्मीदवार उतारना शुरू कर दिया। राजद ने कांग्रेस के कोटे की वारसलीगंज, वैशाली और लालगंज पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है।
राजद कांग्रेस की अंदरूनी विवाद में फंसी सिंकदरा विधानसभा क्षेत्र पर भी दावा कर रहा है। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी सिकंदरा से राजद उम्मीदवार हो सकते हैं।विवाद का असर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार की विधानसभा सीट कुटुंबा पर भी पड़ा है। पूर्व मंत्री सुरेश पासवान यहां से राजद उम्मीदवार हो सकते हैं।