श्रीनगर, २४ अप्रैल ।
पहलगाम में अपने परिवार के साथ छुट्टियां बिताने पहुंचे असम यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर देबासीश भट्टाचार्य की मंगलवार को आतंकियों की गोली से जान कलमा पढऩे से बची। सिल्चर स्थित यूनिवर्सिटी में बंगाली पढ़ाने वाले भट्टाचार्य मंगलवार को उस वक्त पहाड़ी क्षेत्र बैसरन में ही मौजूद थे, जब आतंकवादियों ने गोलियां बरसाकर पर्यटकों को मारना शुरू कर दिया। भट्टाचार्य ने बताया कि गोलियां चलने के बाद आतंकियों को देखते ही उनके आसपास के लोग जमीन पर लेट गए और कलमा पढऩा शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने भी उनकी नकल शुरू कर दी। एक आतंकवादी हमारे करीब आया और मेरे बगल में लेटे एक व्यक्ति को गोली मार दी। फिर उसने मेरी तरफ देखा और पूछा कि क्या कर रहे हो। मैंने उसके सवाल का जवाब तो नहीं दिया, लेकिन जोर-जोर से कलमा पढऩा शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या हुआ, वह मुड़ा और वहां से चला गया। उन्होंने कहा कि जैसे ही आतंकी वहां से गए, वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ तुरंत उस जगह को छोडक़र वापस चलने लगे। मैंने किसी तरह वहां लगे बाड़ को पार कर बचने में कामयाब रहा। करीब दो घंटे तक पैदल चलने के बाद हमें एक स्थानीय व्यक्ति मिला, जिसने पहलगाम तक वापस जाने का रास्ता बताया।
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि आतंकियों ने उन्हें निशाना बनाने से पहले उनका धर्म पूछा और केवल पुरुषों को ही निशाना बनाया, इस संबंध में पूछे जाने पर भट्टाचार्य ने कहा कि वह बहुत घबराए हुए हैं और अन्य सवालों के जवाब नहीं दे पाएंगे। वहीं, असम सरकार भट्टाचार्य को वापस लाने के इंतजाम कर रही है। असम के मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक्स पोस्ट में लिखा कि आतंकी हमले में जीवित बचे व्यक्ति से बात की गई है और पूरी जानकारी ले ली गई है। पूरे परिवार की असम वापसी का इंतजाम सरकार प्राथमिकता से कर रही है। असम सरकार उन्हें जल्द वापस ले आएगी।