-नगर संवाददाता-
कोरबा। स्वाधीनता के अमृत पर्व में कई प्रकार से संकल्प लिए जा रहे और कार्य किए जा रहे, जिनका सीधा संबंध आधुनिकता के साथ विकास का है। सुविधाओं को बढ़ाने और लोगों को सहूलियत देने की कोशिश हो रही है। इन सबसे अलग हटकर विकासखंड कोरबा का कुदरीचिंगार गांव ऐसा है जो अब तक विकास की रोशनी से वंचित है। लोगों की जिंदगी उपेक्षा के बीच सांसें ले रही है।
कोरबा जिले के अंतर्गत रामपुर विधानसभा में शामिल इस गांव की दूरी जिला मुख्यालय से 75 किलोमीअर दूर है। सरगुजा जिले की सीमा यहां से महज 3 किलोमीटर बाद लग जाती है। अनुसूचित जनजाति बाहुल्य इस गांव में लोगों ने इतने वर्षों में कई सरकारें देखी और जनप्रतिनिधि, इसके बावजूद कुदरीचिंगार की स्थिति यथावत है। हैरानी की बात है कि गांव आज भी सडक़, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। हालात इतने बदतर हैं कि यदि किसी ग्रामीण को आपातकालीन स्वास्थ्य सुविधा की ज़रूरत हो तो गाँव तक एम्बुलेंस के पहुंचने का सवाल ही नहीं है क्योंकि सडक़ के नाम पर नमूना है।
वादों की फसल आखिर कब तक कटेगी
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार इस संबंध में सरपंच, सचिव और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी तक दे दी थी। तब स्थानीय नेताओं और अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि चुनाव के बाद समस्या पर ध्यान दिया जाएगा। ग्रामीणों ने विश्वास करते हुए मतदान तो किया, लेकिन आश्वासन के बाद भी हालात नहीं बदले। लोगों का कहना है कि कई चुनाव में ऐसे वादे उनसे किए गए पर वादों की फसल नदारद है। लोगों की शिकायत यह भी है कि चुनाव के बाद न तो नेता पूछते हैं और न ही कार्यकर्ता। यहां के एक उम्रदराज ग्रामीण ने मीडिया टीम से शिकायती लहजे में कहा कि जो हालात यहां के हैं इसे देखकर हमें लगता है कि क्या हम इस देश के नागरिक नहीं।

…कांवर ही होती है मरीजों का सहारा
तबीयत बिगडऩे पर मरीजों को कांवर या झलिया में उठाकर कई किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है। ग्रामीणों के अनुसार, वर्षों पहले प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के तहत गाँव में सडक़ तो बनी थी, लेकिन समय पर मरम्मत और रख-रखाव के अभाव में अब वह सडक़ पूरी तरह गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। बरसात के मौसम में यह मार्ग बिल्कुल बंद हो जाता है, जिससे गांव का संपर्क पूरी तरह कट जाता है। कुदरीचिंगार पूरी तरह जंगल से घिरा हुआ है। रात के समय किसी बीमार व्यक्ति को बाहर ले जाना अत्यंत जोखिम भरा होता है, क्योंकि जंगली जानवरों का डर हर वक्त बना रहता है।
सुविधाएं कब मिलेंगी, इंतजार में ग्रामीण
काफी समय से कुदरीचिंगार में न तो बुनियादी सुविधाएं हैं और न अन्य संसाधन। लोगों की किस्मत में केवल ख्याली पुलाव है और लंबा इंतजार। उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है और सुशासन तिहार में गांव की सुध लेने के लिए प्रशासन को आवेदन दिया है। उनकी मांग है कि दूसरे इलाकों की तरह उनके यहां भी पक्की सडक़ हो। नियमित बिजली आपूर्ति हो और पेयजल सुविधा के साथ-साथ स्वास्थ्य केंद्र बने। इस गांव के लोगों का कहना है कि इंतजार बहुत हुआ अब क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रशासन के अधिकारियों को संवेदनशीलता दिखाना चाहिए। अगर ऐसा होगा तब उनका विश्वास कुछ मजबूत हो सकेगा।
सडक़ स्वीकृत, अस्पताल के लिए कोशिश
कुदरिचींगार सेजुड़ी समस्याएं मेरे ध्यान में है। वहां तक पक्की सडक़ बनाने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दिलाई गई है। अन्य सुविधाओं को लेकर भी काम किया जाएगा। शीतकालीन सत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए जरूरी कोशिश होगी। पूरी संवेदनशीलता के साथ क्षेत्र की जरूरत को पूरा करने के लिए काम करेंगे।
-फूल सिंह राठिया, विधायक रामपुर