
काफी लंबे समय से अटके हुए हैं मामले
कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोयला खदानों के विस्तार के चक्कर में अपनी ही जमीन से बेदखल किए जा रहे भूविस्थापित आर पार की लड़ाई लडऩे को मजबूर है। उन्होंने जल्द ही इस दिशा में बड़ा एक्शन लेने की रणनीति बनाई है। कहा जा रहा है कि पूरे मामले में प्रबंधन ठीक तरह से अपनी भूमिका नहीं निभा रहा है।
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के लिए सर्वाधिक कोयला का उत्पादन कोरबा जिले की खदानों से किया जा रहा है। इसके साथ ही खदानों के मौजूदा क्षेत्रफल में बढ़ोतरी करने के लिए न केवल प्लानिंग की गई है बल्कि इसके क्रियान्वयन को भी शुरू किया जा रहा है। सैक्रो हेक्टेयर जमीन को इस सिलसिले में अर्जित करना है। बीते वर्षों में कई गांव के नाम समाप्त हो गए और कई नाम प्रस्तावित है। भू स्थापित की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई है। कोरबा जिले के कोरबा, कुसमुंडा, दीपिका विस्तार और गेवरा क्षेत्र में कोयला का विशाल भंडार होने से इसका विदोहन भी करना है। समय के साथ-साथ विस्थापन से संबंधित समस्याएं बढ़ती जा रही है। इसके निराकरण के लिए दावे जरूर हो रहे हैं लेकिन काम नगण्य है। और यही सब कारण है कि आए दिन खदानों के अलावा एसईसीएल के कार्यालय के सामने लोगों के प्रदर्शन हो रहे हैं। उनका कहना है कि जब जमीन ले रहे हो तो नौकरी तो देना होगा। हाल में ही सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ऐसे ही एक मामले को लेकर लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया गया और एक तरह से प्रभावितों को रोजगार देने का विकल्प दिया गया है। दूसरी समस्याएं अभी भी जमीन पर बनी है। अलग-अलग नाम से कोरबा जिले में भूविस्थापित के लिए राजनीति करने वाले संगठनों ने तय किया है कि जिस प्रकार का रवैया बना हुआ है उससे बहुत कुछ हासिल नहीं होने वाला है इसलिए हम जल्द ही कार्य योजना बनाकर बड़ा आंदोलन तो कर ही सकते हैं।
बसाहट के लिए तैयारी
दूसरी और जटराज विस्थापित गांव के लिए साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने नई जगह पर बसाहट देना स्वीकार किया है। इसके लिए सर्वमंगला मंदिर से आगे कुदुरमाल जाने वाले मुख्य मार्ग पर आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। पुराने अब डंपिंग के पास के इलाके को ठीक किया जा रहा है। आसपास में बड़ी तेजी से मशीन चल रही है ताकि क्षेत्र का समतलीकरण करने करने के साथ बुनियादी कार्यों को शुरू कराया जा सके























