
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि नदियों के प्रदूषण के मामले में स्थिति में सुधार आया है, लेकिन सीवेज इन्फ्रास्ट्रक्चर का पूरा इस्तेमाल न होने के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं। जलशक्ति मंत्रालय की ओर से विगत दिवस राज्यसभा में बताया गया कि नदियों के प्रदूषण पर अपेक्षा के अनुरूप अंकुश न लग पाने के लिए घरों में सीवेज कनेक्शन की कमी और परियोजनाओं को पूरा करने में हुई देरी भी जिम्मेदार है।नदियों के प्रदूषण से जुड़े सवालों के जवाब में जलशक्ति राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी ने सदन को बताया कि विभागों की ओर से रखरखराव और मरम्मत के कार्यों में दिखाया जाने वाला लचर रवैया भी इसके लिए उत्तरदायी है। हालांकि प्रदूषित नदियों पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण वाले हिस्सों में कमी आई है। 2018 में ऐसे खंडों की संख्या 351 थी, जो अब घटकर 311 रह गए हैं। इन 351 खंडों में 106 को स्थिति दुरुस्त हो जाने के बाद सूची से हटा दिया गया है। जबकि 74 में सुधार के प्रमाण मिले हैं। मंत्रालय के अनुसार नदियों की सफाई और उन्हें पुनर्जीवन देना एक सतत प्रक्रिया है। मुख्य रूप से यह राज्यों, केंद्र शासित क्षेत्रों और स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है। उन्हें ही घरेलू सीवेज और औद्योगिक कचरे को नदियों में जाने से पहले साफ करना है। एक अन्य सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि सीपीसीबी ने 73 ऐसे उद्योगों को बंद करने का आदेश दिया है जो नदियों को बहुत अधिक प्रदूषित कर रहे थे।
ये सभी उद्योग कचरे के निस्तारण को लेकर मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे थे।